meriabhivyaktiya
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बादलों ने घेरा था
मेरे दिल का आसमान,
हल्की सी बूंदा-बांदीं
ने छू लिए तपते अरमान।
आधी सूखी आधी गीली
थी अभी मन की बस्ती,
तभी बादलों की गड़गड़ाहट
ने जारी कर दिया फरमान।
हवाएं थी तेज़,बूँदों ने चूम ली
थी एहसासों की ज़मीन।
एक मीठी सी सिहरन
मुझे आगोश मे ले चली,
प्यार की पहली बारिश
मुझे भिंगोने चली।
चेहरे को चूम अधरों
पर रूकी,एक इन्द्रधनुष
सा खींच वो छूमंतर हो चली।
अंतरमन है तर पहली
बरसात से,धुली-धुली सी प्रीत
उज्जवल एहसास से।
अनुभुतियों की शीतलता
अब बहकाने लगी,
प्रीत की पहली बारिश
अधरों पर मुस्कुराने लगी।
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