meriabhivyaktiya
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घुटुवन के बल जाए के
माखन में अंगुरी डूबाए के
कछू खाए रहे,कछू गिराए रहे
माखन चोर लीला रचाए रहे।
ग्वाल बालन के टोली बुलाए के
छींके तक टीला बनवाए के
खुद खाए रहे,सबन के खिलाए रहे
माखन चोर उड़दंग मचाए रहे।
सब सखन के संग मिलाय के
जमुना के तट पर डेरा जमाय के
गुलेल से मटकी चटखाए रहे
नटखट गोपियन के सताए रहे।
गइयन के झुंड लइ जाय के
सघन कुंज बीच छितराइ के
अधरन पर मुरली सजाय रहे
मुरारी सबन के सुध बिसराए रहे।
गोपियन संग रास-रंग रचाए के
राधा प्यारी की निदिंया चुराए के
गोकुल के आंसुअन मे बाहाए रहे
कृष्ण मथुरा जावन की राह बनाए रहे
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