Menu
blogid : 14564 postid : 3

पीहर के आगे मिमियाते दूल्हे वाले!

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
  • 611 Posts
  • 21 Comments

(लिमटी खरे)
सनातन भारतीय परंपराओं में दमाद को मानदान माना जाता है। दमाद का घर बेटी का ससुराल और बाबुल का घर पीहर होता है। कहा जाता है कि जब भी दूल्हा अपनी पत्नि के घर जाता है उसके सम्मान का पूरा पूरा ध्यान रखा जाता है। देश में कांग्रेस का राज है। कांग्रेस का संचालन जाहिर तौर पर श्रीमति सोनिया गांधी के हाथ है। सोनिया गांधी भारत की बहू हैं और इटली उनका पीहर। दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी सैनिकों ने जिस तरह भारत को धोखा देकर इटली भाग गए हैं उससे भारत को एक बहुत बड़ा झटका लगना स्वाभाविक ही है। भारत सरकार अब इटली के आगे मिमियाती नजर आ रही है। दरअसल, देश का प्रधानमंत्री ही बिना रीढ़ (राज्य सभा से चुना गया हो जो अब तक एक भी चुनाव ना जीता हो) का हो तो उससे ज्यादा क्या उम्मीद की जाए।
केरल के दो मछुआरों की इतालवी सैनिकों ने अंतर्राष्ट्रीय जल सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर जघन्य हत्या कर दी थी। गुस्साई भारत की नौसेना ने इस इतालवी जहाज को पानी में ही लंगर डालकर खड़ा कर दिया था और इन मछुआरों की हत्या में शामिल दो इतालवी सैनिकों को पकड़कर अदालत में पेश कर यह दलील दी थी कि चूंकि इन्होंने भारत की सीमा में अपराध किया है अतः भारतीय अदालत में भारत के कायदे कानूनों के हिसाब से इन पर भारत में ही मुकदमा चलाया जाएगा।अपने नागरिकों को जान से ज्यादा चाहने वाले इटली ने तत्काल विदेश मंत्री को भारत भेजा। विदेश मंत्री ने कहा कि यह दो देशों के कूटनितिक समझौते के चलते उन्हें स्वदेश वापस जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। उस समय भारत का रूख काफी कड़ा था। भारत ने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि यह कूटनितिक मसला नहीं आपराधिक मामला है अतः सैनिकों को इटली नहीं भेजा जा सकता है। मामले को पहले केरल के न्यायालय फिर सर्वोच्च न्यायालय में भेज दिया गया।भारतीयों का दिल वाकई बहुत बड़ा होता है। भारत गणराज्य के निवासी के लिए मानवीयता सबसे बड़ी चीज है। मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए दिसंबर माह में ईसामसीह के जन्म दिन को मनाने के लिए इन दोनों इतालवी नोसैनिकों को इटली जाने की इजाजत दे दी गई। ये दोनों वापस भी आए। इसके बाद इटली ने दूसरी चाल चली और भारत के साथ कर दिया धोखा।इटली की नेशनल असेंबली के चुनावों में मताधिकार के लिए इन दोनों आरोपियों को इटली जाने की अनुमति चाही गई। माननीय अदालत ने फिर सहानुभूति दिखाते हुए इन दोनों को इजाजत दे दी। फरवरी में संपन्न होने वाले चुनावों को देखते हुए इतालवी सरकार ने लिखकर यह भी दिया कि चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करते ही इन दोनों सैनिकों को वापस हिन्दुस्तान भेज दिया जाएगा।इस बार इतालवी सरकार का दिल काला था। मताधिकार का प्रयोग होते ही इतालवी सरकार के तेवर बदल गए। इतालवी सरकार ने अपने दोनों आरोपी सैनिकों को यह कहकर वापस भारत भेजने से इंकार कर दिया कि भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ के तहत अंतर्राष्ट्रीय जल कानून का ही पालन नहीं कर रहा है। भारत पर यह भी आरोप है कि वह इस कूटनितिक विवाद को अलग रंग दे रहा है।इटली की सरकार ने सरेआम भारत सरकार के साथ ध्रष्टता की है, हिमाकत की है, धोखा दिया है। इतालवी सरकार ने यह कहकर अपने नोसैनिकों को ले जाया गया कि वह मताधिकार का प्रयोग करवाना चाह रही है। मत डालने के उपरांत उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। दरअसल, भारत सरकार ने अब तक इतालवी लोगों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए हैं। चाहे मामला बोफोर्स कांड से जुड़े क्वात्रोच्चि का हो या फिर हाल ही में चौपर डील का।पता नहीं क्यों भारत सरकार विदेशी लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाने से परहेज क्यों करती है। भारतीय संवेदनशील और सहनशील होता है यह बात दुनिया जानती और मानती है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि हमारी सरकारों की इस तरह की ढुलमुल नीतियों और कार्यवाहियों से वैश्विक स्तर पर अब हमारी छवि सहनशील के बजाए नपुंसक की बनती जा रही है। यह मामल कोई छोटा मोटा मामला नहीं है।इतालवी सरकार ने समूचे भारत के सामने लिखित आश्वासन दिया और उसके उपरांत उसे तोड़ा। भारत ने सहृदयता का परिचय देते हुए जेल में बंद दो विदेशी नागरिकों को मताधिकार का प्रयोग करने इटली जाने की इजाजत दी है। भारत के संविधान में विचाराधीन कैदी को मताधिकार से वंचित रखा गया है।उधर, खबर है कि विपक्ष के दबाव में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटैलियन नौसैनिक को भारत वापस भेजने से इनकार करने के बाद इटली के राजदूत को दिल्ली से वापस भेजा जा सकता है। भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इटली ने नौसैनिकों को वापस भेजने का वादा किया था। केवल वादा ही नहीं बल्कि दिल्ली स्थित इटली दूतावास ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था।मामला चूंकि यूपीए की चेयरपर्सन श्रीमति सोनिया गांधी के पीहर से जुड़ा हुआ है, और इस संवेदनशील मामले को विपक्ष कहीं मुद्दा ना बना ले इसी डर से प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को भी मजबूरी में मुंह खोना पड़ा है। अब इस मामले में राजनीति घुसना आरंभ हो चुकी है। जब प्रधानमंत्री और जिम्मेदार विदेश सचिव इस मामले में बयान दे रहे हैं और इतालवी सरकार नने लिखकर दे दिया है कि उनके सैनिक भारत नहीं आएंगे तब 22 मार्च की तय तिथि का इंतजार करना हमारे हिसाब से लाजिमी नहीं है।सरकार को चाहिए कि तत्काल ही इतालवी सरकार से सारे संबंध तोड़ दे इतालवी सरकार के राजदूत को वापस भेज दे। इटली से अपने राजदूत को वापिस बुला ले और इटली जाने या इटली से आने के सारे वीसा तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए जाएं। सोनिया गांधी का पीहर इटली है। वे परोक्ष तौर पर भारत में हुकूमत कर रही हैं। उनके पीहर वाला देश भारत की कालर पकड़कर उसे धमका रहा है फरेब कर रहा है और वे चुप बैठीं हैं यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित तो नहीं माना जा सकता है। (साई फीचर्स)

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply