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रोजगार के नाम पर थापर छल रहे है आदिवासियों को

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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(एस.के.खरे) सिवनी (साई)। देश के नामी गिरामी उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में लगाए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में नियम कायदों का सरेआम माखौल उड़ाया जा रहा है। सामाजिक जिम्मेदारी और सामाजिक पहलुओं की जमकर उपेक्षा संयंत्र प्रबंधन द्वारा की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड को निर्माण अवस्था और कार्यकारी अवस्था दोनों ही में स्थानीय लोगों को रोजगार दिए जाने की व्यवस्था की जानी थी। आरोपित है कि निर्माण अवस्था में ही स्थानीय लोग रोजगार के लिएभ्ज्ञाटक रहे हैं। संयंत्र प्रबंधन ने सरकार से वायदा किया था कि वह स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा और बाहरी लोगों को कम रोजगार मुहैया करवाएगी। वस्तुतः जमीनी हकीकत इससे उलट ही है। संयंत्र में होने वाले हर काम को सिवनी जिले के निवासियों के बजाए संस्कारधानी जबलपुर, नरसिंहपुर, बिहार एवं उत्तर प्रदेश के लोगों के माध्यम से करवाने के आरोप आरंभ से ही संयंत्र प्रबंधन पर लगने लगे थे। यहां एक बात और उल्लेखनीय है कि अगर घंसौर थाने में दर्ज मर्ग के प्रकरणों में मृतकों के मूल निवास का पता और उनकी अंतिम क्रिया कहां की गई है की जानकारी निकाली जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि संयंत्र में अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक लोग असमय ही काल कलवित हो चुके हैं जो सिवनी जिले के थे ही नहीं। इससे साफ हो जाता है कि संयंत्र में बाहर से मजदूरों को बुलवाकर काम करवाया जा रहा है। वैसे संयंत्र प्रबंधन द्वारा सिवनी की उपेक्षा का प्रमाण इससे ही मिल जाता है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा जिला मुख्यालय सिवनी में संयंत्र से संबंधित एकभ्ज्ञाी कार्यालय की स्थापना नहीं की गई है, जबकि जबलपुर में कंपनी ने अपना कार्यालयभ्ज्ञाी बनाया हुआ है। कंपनी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा अपने संयंत्र की स्थापना में कराए जाने वाले हर काम को आउटसोर्स कर सिवनी जिले को छोड़कर अन्य जिलों से संपादित करवाया जा रहा है। संयंत्र प्रबंधन पर रोजगार के नाम परभ्ज्ञाोलेभ्ज्ञााले आदिवासियों को छलने के संगीन आरोपभ्ज्ञाी अब सार्वजनिक होने लगे हैं। (क्रमशः जारी)

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