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संभलकर रहिए, अभी हम हैं सेफ जोन में

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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कोविड 19 कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। भारत के लिए यह राहत की बात ही मानी जा सकती है कि देश में अभी इसका संक्रमण उस तेज गति से नहीं फैल रहा है जिस तरह अनेक देशों में फैला है। कहा जा रह है कि अभी भारत में फेस तीन में यह पहुंच रहा है। अभी भी चेतने संभलने की जरूरत है। सामाजिक दूरी और सोशल डिस्टेंस को बरकरार रखने की महती जरूरत है।

 

हमारी सरकारों को यह देखना होगा कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल है! देश इससे निपटने के लिए किस हद तक तैयार है। देश की आबादी लगभग एक अरब तीस करोड़ है। इस आबादी में अगर दो फीसदी लोगों को ही कोविड 19 का संक्रमण हो गया तो मान लीजिए कि ढाई करोड़ से ज्यादा लोग इसकी जद में आ जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो हमारे पास स्वास्थ्य सुविधाएं अर्थात मेडिकल फेसिलिटीज कितनी हैं!

 

एक अनुमान के अनुसार देश में एक लाख वेंटीलेटर्स की उपलब्धता है। उस स्थिति में क्या किया जाएगा जब महज दो फीसदी लोग ही इसके संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे। अगर ढाई करोड़ से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आए तो एक लाख वेंटिलेटर्स नाकाफी ही साबित होंगे। इस संक्रमण की जद में अगर ढाई करोड़ से ज्यादा लोग आए और उसमें से नब्बे फीसदी स्वस्थ्य भी हो गए तो भी आठ से दस लाख लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।

 

एक खबर के अनुसार जर्मनी में एक बुजुर्ग और एक जवान एक चिकित्सक के पास पहुंचे। चिकित्सक धर्म संकठ में थे कि वे किसे वेंटीलेटर लगाएं, क्योंकि महज एक वेंटिलेटर ही बचा था उनके पास। इसके बाद उनके द्वारा जवान व्यक्ति को वेंटिलेटर लगाया गया। देश में अगर यह तेजी से फैला तब हमारे पास वेंटिलेटर का विकल्प सीमित ही रह जाएगा।

 

 

केंद्र सरकार को चाहिए कि देश की चिकित्सा सुविधाओं के बारे में देश की जनता को बताया जाए। यह जनता को डराने के लिए नहीं किया जाए, वरन वस्तु स्थिति से आवगत कराने के लिए किया जाए। बहुत सारे देशों में वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं से ज्यादा मरीज आने के बाद टोटल लॉक डाऊन की बात सोची गई। भारत के लिए यह बहुत सुखद माना जा सकता है कि यहां समय रहते ही चेत जाया गया है।

 

इस लॉक डाऊन को सफल बनाना, देश को बचाना, स्थिति को संभालना देश की जनता के हाथ में ही है। अगर आप घर पर रहते हैं तो निश्चित तौर पर स्थितियों पर जल्द ही नियंत्रण पाया जा सकता है। घर में अगर पनीर नहीं है, अच्छी चीजें खाने को नहीं हैं तो आप संयम बरतिए, धैर्य रखिए, घर पर ही रहिए। प्रधानमंत्री ने तीन सप्ताह तक टोटल लॉक डाऊन की बात कही है, आप प्रधानमंत्री की अपील को देश के लिए, अपने समाज के लिए, अपने परिवार के लिए मानिए।

 

अगर स्थितियां देश की स्वास्थ्य सुविधाओं या मेडिकल फैसिलिटीज की सीमाओं को तोड़कर आगे निकल गईं तो कुछ भी हमारे और आपके हाथ में नहीं रह जाएंगी। इसलिए आज इम्तेहान की, परीक्षा की घड़ी है, इस परीक्षा की घड़ी में आप देश, समाज, परिवार के लिए घर पर रहें। अगर आप महज तीन सप्ताह घर पर रह गए तो यकीन मानिए इस विपदा की घड़ी पर हम पार पाने में सफल हो जाएंगे।

 

 

पूरी तरह अपने घरों पर ही रहें। अगर आवश्यक सामग्री लेने के लिए छूट मिले तो आप पैनिक न हों, भीड़ न लगाएं। देश के हर जिले के प्रशासन के द्वारा आपकी सुविधा के लिए इंतजामात किए जा रहे हैं। हो सकता है आपके घर किराना, सब्जी, दूध या अन्य चीजें विलंब से मिलें, पर आप पैनिक न हों, उग्र न हों, स्थितियों को समझें, परिस्थितियों के साथ चलें। अगर आपने धेर्य, संयम के साथ ये दिन घर पर ही काट लिए तो मान लीजिए कि आपने एक बहुत बड़ी जंग जीत ली है। सोचिए, आपके इस छोटे से सहयोग, हलांकि है बहुत बड़ा से भारत का नाम समूचे विश्व में कितने सम्मान के साथ लिया जाएगा, कि विश्व के विकासशील देश जो नहीं कर पाए वह आपने महज कुछ दिनों में ही कर दिया।

 

आपसे एक अनुरोध, अपील, गुजारिश यह भी है कि आपके घर के आसपास अगर चौक चौराहों पर पुलिस या प्रशासन के कर्मचारी ड्यूटी दे रहे हों तो उनकी सुविधा का ख्याल रखें। उन्हें कुर्सी दें, उनके हाथ साबुन से धुलवाएं, उन्हें चाय, नाश्ता या खाना भी पूछें, उनका सहयोग करें। जो भी वे कर रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य की चिंता करते हुए ही कर रहे हैं। युवाओं से भी अपील है कि वे भी घरों से न निकलें, रचनात्मक कामों में अपने आपको लगाएं। परिवार के साथ समय बिताएं।

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं, इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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