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कैसे मरी मादा बाघिन, रहस्य बरकरार!

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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कैसे मरी मादा बाघिन, रहस्य बरकरार!

पीएम रिपोर्ट में जहर न होने का हुआ खुलासा

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। खवासा वृत्त के अधीन पिछले साल 30 नवंबर को सड़ांध मारते मिले मादा बाघ के शव को लेकर वन विभाग में सिवनी से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है। इस बाघ की मौत कैसे हुई,इस बात से भी अभी पर्दा उठ नहीं सका है। बाघ की मौत जहर से होने की आशंकाएं उस वक्त निर्मूल साबित हो गईं जब शव के बिसरा परीक्षण की रिपोर्ट मेें बाघ को जहर न दिए जाने की बात सामने आई।

पेंच नेशनल पार्क से जुड़े सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 30 नवंबर को एक मादा बाघ का शव कंपार्टमेंट नंबर आरएफ 326 में सड़ांध मारता हुआ मिला था। बाघ का शव जहां मिला था, उससे लगभग सौ मीटर की दूरी पर ही रास्ता है, जहां से रोजाना दर्जनों की तादाद में लोग गुजरते हैं।

सूत्रों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अगर मादा बाघ का शव सड़ांध मार रहा था तो, शव में सड़ांध रातों रात पैदा नहीं होती है। इस काम में तीन से चार दिन लगते हैं और जिस तरह की सड़ांध वहां आ रही थी, उससे यही अंदाजा लगाया जा रहा था कि बाघ लगभग तीन-चार दिन पहले मरा है।

सूत्रों ने बताया कि इसके पहले इसी के समीप कंपार्टमेंट पी 370 मेें 27 नवंबर को एक बाघ के द्वारा एक गाय का शिकार किया गया था। इस शिकार के बाद यही आशंका व्यक्त की जा रही थी कि उक्त बाघ से त्रस्त आकर किसी ने गाय को जहर दे दिया और उसी गाय के जहरीले मांस को खाकर वह बाघ भी मर गया।

सूत्रों ने कहा कि इसी कहानी को मूल आधार मानकर वन विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा अपनी जांच को आगे बढ़ा दिया गया। सूत्रों की मानें तो बाद में यह बात उभरकर सामने आई कि जिस बाघ ने 27 नवंबर को गाय का शिकार किया था, वह नर बाघ था और उसका नंबर के 18 है।

वन विभाग में चल रही चर्चाओं के अनुसार निचले स्तर के कर्मचारियों के द्वारा अपनी खाल बचाने के चक्कर में इस मामले में अनेक तरह की सच्ची झूठी बातों के साथ एक कहानी पेश कर दी गई, जिस कहानी पर अधिकारियों ने आंख बंद कर विश्वास कर लिया और मामले में यह बात उभरकर सामने आने लगी कि उक्त बाघ को जहर देकर मारा गया है।

सूत्रों की मानें तो गाय का शिकार 27 नवंबर को हुआ था और वह के 18 नामक नर बाघ ने किया था। उधर, 30 नवंबर को मिला शव मादा बाघ का है। अगर गाय का जहरीला मांस उक्त नर बाघ ने खाया होता तो बाघ के अलावा अन्य सियार, चील कौओं आदि पर भी इस जहर का असर अवश्य ही हुआ होता।

सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मादा बाघ के बिसरा को परीक्षण के लिए एफएसएल लेबोरेटरी सागर भेजा गया था, जहां से यह बात सामने आ चुकी है कि मादा बाघ की मौत जहर देने से नहीं हुई है। इन परिस्थितियों में यह यक्ष प्रश्न अनुत्तरित ही है कि मादा बाघ की मौत हुई तो किन कारणों से?

(क्रमशः जारी)

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