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खवासा बफर जोन में नहीं है एक भी मादा!

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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0 कैसे मरी मादा बाघिन . . . 3
खवासा बफर जोन में नहीं है एक भी मादा!
0 क्षेत्र के मामले में उलझ रही गाय और बाघ की गुत्थी!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। पेंच में मिले सड़ांध मारते मादा बाघ के शव और मरी गाय का मामला क्षेत्र में उलझता दिख रहा है। गाय का शिकार किसके क्षेत्र में हुआ? मादा बाघ का शव किसके क्षेत्र में हुआ? किस अधिकारी ने कहां लापरवाही की यह बात भी अभी उलझी हुई दिख रही है।
वन विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि खवासा के बफर जोन में एक भी मादा बाघ नहीं है, फिर जो मादा बाघ का सड़ांध मारता शव मिला है वह किस क्षेत्र की है? सूत्रों ने आगे बताया कि हो सकता है कि वह मादा बाघ कर्माझिरी की हो सकती है।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि बाघों की जनगणना के समय वाईल्ड लाईफ कंजरवेशन ट्रस्ट (डब्लू. सी. टी.) के द्वारा लगाए गए थे। ये कैमरे जनगणना के बाद भी जंगलों में लगे हुए हैं। इन कैमरों में बाघ के चित्रों में उनकी धारियों को देखकर उन्हें पहचाना जाता है।
सूत्रों का कहना था कि अमूमन हर कैमरे में क्षेत्र में तैनात वनकर्मी को तीन-चार बार जाकर फोटो देखने होते हैं ताकि वे बाघों पर नजर रख सकें। सूत्रों ने बताया कि बाघ रोजाना उसी मार्ग को अपनाता है जिस पर वह चल रहा है, इससे बाघ को पहचानने में आसानी होती है।
सूत्रों की मानें तो मादा बाघ खवासा के बफर जोन में मृत मिली थी, पर जिस गाय का शिकार उसके द्वारा कथित तौर पर करने की बात कही जा रही है उस गाय का शव बरघाट प्रोजॅक्ट के क्षेत्र में मिला था। इस लिहाज से बाघ का अंतिम संस्कार करने का काम खवासा बफर जोन के वनाधिकारियों का था और गाय का अंतिम संस्कार करने का काम वन विकास निगम के वनाधिकारियों का था।
सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में गुत्थी पूरी तरह उलझी दिख रही है। मुख्य वन संरक्षक के द्वारा जिन वन कर्मचारियों को हटाया गया है वे खवासा बफर जोन के हैं। उनके स्थान पर लगभग सभी पदों पर अतिरिक्त प्रभार देकर तैनाती कर दी गई है।
(क्रमशः जारी)

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