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बीस रूपए के स्टाम्प में बदल गया मालिकाना हक

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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0 साई के बाद साई का मंदिर विवादों में . . . 5
बीस रूपए के स्टाम्प में बदल गया मालिकाना हक!
0 अग्निकाण्ड में नष्ट हो चुके हैं रजिस्ट्री के मूल दस्तावेज!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। नगझर स्थित भव्य साई मंदिर जिस जमीन पर बना है, उस जमीन का मालिकाना हक महज बीस रूपए के स्टाम्प पेपर पर बदल दिया गया। पूर्व में यह भूखण्ड श्री शिरडी साई संस्थान, सिवनी के नाम पर था, जो बीस रूपए के नवीन स्टाम्प पेपर के लगाने के बाद ओम श्री शिरडी साई मंदिर सिवनी, सचिव प्रसन्न चंद मालू के नाम पर परिवर्तित कर दिया गया।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नगझर स्थित साई मंदिर के कोषाध्यक्ष रहे शरद अग्रवाल के द्वारा इस साल फरवरी में दिए गए आवेदन में कहा गया था कि उनके द्वारा उप पंजीयक कायर्सालय में वर्ष 1992 की शिरडी साई संस्थान सिवनी की रजिस्ट्री अ-1/2966 के पृष्ठ क्रमांक 33 व 34 प्राप्त करने हेतु आवेदन दिया गया। इस पर उप पंजीयक कार्यालय द्वारा शरद अग्रवाल को लिखित में बताया गया कि उप पंजीयक कार्यालय में हुए अग्निकाण्ड में उक्त दस्तावेज ही नष्ट हो चुके हैं। पुलिस को शरद अग्रवाल ने बताया कि उपरोक्त दस्तावेजों की छाया प्रति उनके पास सुरक्षित है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि इसके बाद उनके द्वारा उप पंजीयक कार्यालय को पुनः 24 मई 2013 को एक आवेदन देकर 11 फरवरी 1994 का संशोधन प्राप्त करने हेतु निवेदन किया गया। उन्होंने बताया कि उन्हें संशोधन 11 फरवरी 1994 का पत्र क्रमांक 2589 प्राप्त हुआ, जिसमें खसरा नंबर 113/3 की जमीन की खरीदी के दो वर्ष के उपरांत अनावेदक प्रसन्न मालू द्वारा महज बीस रूपए के स्टाम्प पेपर पर संशोधन के नाम पर उप पंजीयक सिवनी के कार्यालय में डॉ.के.एल.मोदी के साथ दुरभिसंधि कर कथित पॉवर ऑफ अटर्नी के आधार पर जो कि नागपुर के पूर्व विक्रेता डॉ.सुश्रत सुधीर बाबुलकर के द्वारा नागपुर में दी गई बताई जाती है, के माध्यम से 8 मार्च 1994 को संशोधन कर पंजीयन कराया गया।
सूत्रों ने आगे बताया कि शरद अग्रवाल का आरोप था कि इस संशोधन के आधार पर मूल खरीददार का नाम बदल दिया गया, जो कि विधि विपरीत है। शरद अग्रवाल का आरोप है कि उप पंजीयक के उक्त संशोधन पंजीयन में प्रयुक्त कथित मुख्तयारनामा भी नहीं लगा है। नगर निरीक्षक को दिए आवेदन में शरद अग्रवाल का आरोप था कि बिना मुख्तयार नामा लगाए पंजीयन नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों की मानें तो शरद अग्रवाल ने साफ तौर पर कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया से स्पष्ट है कि साई मंदिर के सचिव प्रसन्न चंद मालू ने डॉ.के.एल.मोदी के साथ मिलकर बेईमानी पूर्वक धोखाधड़ी कर कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर पंजीयक से मिलकर संशोधन पत्र का पंजीयन कराया है।
कहा जा रहा है कि अगर साई मंदिर के कोषाध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पद पर रहे प्रतिष्ठित नागरिक द्वारा फरवरी में नगर निरीक्षक को उक्ताशय का आवेदन सप्रमाण अगर दिया गया है तो इसमें दम अवश्य होगा। इसके साथ ही साथ फरवरी से आज तक पुलिस द्वारा इस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई है, यह भी शोध का विषय है। शहर में चल रही चर्चाओं के अनुसार नगझर स्थित साई मंदिर के स्वामित्व वाले मंदिर और जमीन की कीमत आज आसमान छू रही है। माना जा रहा है कि सारा विवाद मंदिर की जमीन से जुड़ा ही है।
(क्रमशः जारी)

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