मेरी आवाज सुनो
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देख़ो आई रुत मस्तानी..(2)
आसमान से बरसा पानी..
देख़ो आई रुत मस्तानी..(2)
पत्ते पेड़ हुए हरियाले।
पानी-पानी नदियां नाले।
धरती देख़ो हो गई धानी। देख़ो आई रुत मस्तानी..(2)
मेंढक ने जब शोर मचाया।
मुन्ना बाहर दौड़ के आया।
हंसके बोली ग़ुडीया रानी।
देख़ो आई रुत मस्तानी..(2)
बिज़ली चमकी बादल गरज़े।
रिमझिम रिमझिम बरख़ा बरसे।
आंधी आई एक तुफ़ानी।
देख़ो आई रुत मस्तानी..(2)
कोयल की कुउ,कुउ,कुउ सुनकर।
पपीहे की थर,थर,थर भरकर।
”राज़”हो गई है दीवानी।
देख़ो आई रुत मस्तानी..(2)
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