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मेरी पहचान

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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स्त्री।

मेरे अनेक रुप हैं।

“बेटी”, एक अच्छी “बहन” अच्छी “पत्नी”, अच्छी “बहु” ,अच्छी”भाभी“और एक बहेतर“माँ” भी!!!

मैं उपरवाले का शुक्रिया अदा करती हुं जो इस ज़मीन पर क़ुदरत की नेअमतों से वाकिफ़ हुई।

संवेदनाओं को हरदम जगाती हुई मैं, एक जिला के सरकारी अस्पताल में ग़रीब,कमज़ोर, मरीज़ों के बीच में काम करती हुं। और यही मेरा सौभाग्य है कि में दुनिया को बहोत… नज़दीक से पहचान पाई हुं।

किसी को दर्द पहोंचाना मेरी फ़ितरत  नहिं पर किसी पे ज़ुल्म होता देखकर मैं चूप भी नहिं बैठ सकती यही मेरी आदत है।

“जागरण” द्वारा अपने विचारों को आप तक रख पाई हुं। आशा है आप मेरी इन संवेदनाओं को ज़रूर सराहेंगे।

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