मेरी आवाज सुनो
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जो चला वक्त उसी वक्त को तूँ याद न कर।
बीती पलकों में यूं ही जिन्दगी बरबाद न कर।
भूल जा भूले हुए रिश्तों को जो छोड़ चले।
उनकी यादों की ज़हन में बडी तादाद न कर।
ना मिलेगा तुझे ये बात कहेगा सब को।
अपने दर्दों की परायों से तूं फरियाद न कर।
जो नहिं उसके ख़ज़ाने में तुझे क्या देगा?
ना दिलासा ही सही उससे युं इमदाद न कर।
”राज़”जब कोई गज़ल छेड दे ज़ख़्मों को तेरे।
तूं उसी शे’र के शायर को ही इरशाद न कर।
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