मेरी आवाज सुनो
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जीनाइसीकानामहै
लखनऊ के इस्लामिया कालेज के पीछे बने चर्च में रहने वाली शिरीन के इस प्रेम के चलते ही धीरे-धीरे रिश्तेदारों ने उनसे किनारा कर लिया। अब उम्र के आखिरी पड़ाव पर वह और उनके कुत्ते एक-दूसरे का सहारा बने हैं। कुत्तों के प्रति उनके प्रेम को देख कर लोगों ने उन्हें ‘कुत्ते वाली आंटी’ का खिताब दे दिया है।शीरीन की ज़िंदगी के बारे में बतानेवाली…….
घरेलू उत्पीड़न से परेशान महिलाएं कलेक्ट्रेट स्थित जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में मुकदमा दर्ज करा सकती हैं। यहां काउंसलर्स द्वारा दोनों पक्षों को बुलाकर उनकी काउंसलिंग की जाती है। आपसी सहमति नहीं बनने पर अदालत का विकल्प खुला होता है।
समजोते और अदालत दोनों का विकल्प का महत्व समजानेवाली…ऋचा आज हमारे बीच नहिं है।
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