मेरी आवाज सुनो
- 88 Posts
- 716 Comments
कुछ हरेभरे खेतों के बीच से ग़ुज़रते हुए रास्तों से…
भीनी सुगंध और कोमल पवन के स्पर्श से आगे निकलकर …
एक घटादार बरगद के पेड की टहेनीयों पर झूलते हुए बच्चों से टकराकर…
उन्हें छेडकर आगे आते ही…
जब पनिहारीयों की छमछम कानमें गूंजनेलगे ।
…और एक बडे से आंगन में छोटी सी ख़टिया पर हूक्के के धूंएं में एक बाबा दिखाई देने लगें!! बस वहीं रुक जाना ।
यही मेरा घर है यही मेरा पता……
Read Comments