मेरी आवाज सुनो
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दाता तेरे हज़ारों है नाम…(2)
कोइ पुकारे तुज़े कहेकर रहीम,
और कोइ कहे तुज़े राम।…दाता(2)
ये धरती ये अंबर प्यारे,
चंदा-सुरज और ये तारे,
पतज़ड हो या चाहे बहारें,
दुनिया के सारे ये नज़ारे,
देख़ुं मैं ले के तेरा नाम।…दाता(2)
ऑंधी में तुं दीप जलाये,
पथ्थर से पानी तुं बहाये,
बिन देखे को राह दिख़ाये,
विष को भी अमृत तु बनाये,
तेरी कृपा हो घनश्याम।…दाता(2)
क़ुदरत के हर-सु में बसा तू,
पत्तों में पौंधों में बसा तू,
नदीया और सागर में बसा तू,,
दीन-दु:ख़ी के घर में बसा तू,
फ़िर क्यों में ढुंढुं चारों धाम।…दाता(2)
क़ुदरत पर है तेरा बसेरा,
सारे जग पर तेरा पहेरा,
तेरा ‘राज़’बड़ा ही गहेरा,
तेरे इशारे होता सवेरा,
तेरे इशारे होती शाम।…दाता(2)
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