Tripti
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बड़ा खूबसूरत ये उत्सव होता जा रहा है,
प्रचार- प्रसार, का जोर उफान खा रहा है,
हर किसी के पास अपशब्दों की लरी मिल रही है,
हर किसी की हकीकत रूबरू मिल रही है,
दर बदर भटकता नेता दिख रहा है,
आम आदमी में आज उसको देवता दिख रहा है,
चुनाव के मद्देनजर ये बीमारी जारी है,
और जनता की फिर से मति गई मारी है,
बस दो चार दिन की ये सब खेला है
फिर से वहीं पुरानी कहानी का रेला है
जहां,
आम जनता खड़ी रहेगी चौराहे पे आस में
और नेता जी भोजन करेंगे कहीं फाइव स्टार में
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