बीआरडी मिसाइल। क्या आप वाकिफ हैं इस मिसाइल से। अगर नहीं तो, चलिए हम बता देते हैं, इस सियासी मिसाइल का पूरा नाम है-बाबा रामदेव मिसाइल। केंद्र सरकार ने अभी-अभी इस मिसाइल का टेस्टफायर किया है। अब देखना है कि यह मिसाइल निशाने पर कितना सटीक बैठती है, कितनी मार कर पाती है।अब चलते हैं इस मिसाइल की पृष्ठभूमि पर। बात आगे बढ़ाते हैं दिग्विजय सिंह के दो बयानों से–इंदौर प्रेस क्लब में 17 अप्रैल को दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया था कि बाबा रामदेव के पास इतनी संपत्ति कहां से आई। इसकी जांच होनी चाहिए। दस साल पहले बाबा के पास पंचर जुड़वाने के पैसे नहीं होते थे। अब उनके पास 1100 करोड़ की प्रापर्टी है, वह कहां से आई। उनके ट्रस्ट की संपत्ति और दान-दक्षिणा का ब्यौरा सार्वजनिक होना चाहिए। ठीक एक महीना बाद यानी 16 मई को दिग्विजय ने गुना में कहा-बाबा रामदेव को अपनी भूख हड़ताल की योजना को रद्द कर देना चाहिए। क्योंकि इससे उनका अपमान होगा। अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाने के लिए कई लोग सामने आए थे, लेकिन रामदेव के समर्थन में शायद ही कोई आए। लेकिन हैरत की बात है कि इन दिनों राहुल गांधी के दहिन बांह बने दिख रहे दिग्विजय सिंह जिस कांग्रेस के महासचिव हैं, वही कांग्रेस अब बाबा रामदेव के कदमों बिछती जा रही है। 31 मई को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपील जारी कर दी कि बाबा रामदेव भूख्ा हड़ताल न करें। मनमोहन का कहना था–हमें उम्मीद है कि बाबा रामदेव आंदोलन का रास्ता नहीं अपनाएंगे। हम उन्हें आदोलन नहीं करने के लिए मनाने की एक और कोशिश करेंगे। बाबा के बढे वजन की जरा एक और बानगी देखिए, अगले दिन यानी 1 जून को वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी उनसे मिलने दिल्ली में हवाई अड्डे पर पहुंच गए। जबकि मुलाकात तय थी नार्थ ब्लाक में। इससे छह-सात दिन पहले सीबीडीटी यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के चेयरमैन ने बाबा रामदेव से मुलाकात कर केंद्र सरकार द्वारा कालाधन के मुद्दे पर उठाए गए कदमों की जानकारी दी।दरअसल बाबा रामदेव के प्रति इस वार और प्यार की पैंतरेबाजी का असल मकसद है लोकपाल विधेयक को लेकर हमलावर मसौदा समिति में शामिल अन्ना हजारे और उनकी टीम पर को ठिकाने लगाना है, यह साफ जाहिर होने लगा है। अन्ना की टीम प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में शामिल करने के लिए टांग अड़ाए हुए है। लेकिन सियासी दलों को यह कतई मंजूर नहीं है, ना आगे कभी होगा। कांग्रेस की पैंतरेबाजी ने असर भी दिखा दिया है। भाजपा के कंधे पर बैठकर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस के पेंच कसने वाले बाबा रामदेव अपने प्रस्तावित अनशन से ठीक चार दिन पहले सत्ता के साथ कुछ सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। 31 मई को मध्य प्रदेश के सीहोर में बाबा रामदेव ने कहा-देश के प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश का पद गरिमापूर्ण पद है। इन्हें प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के दायरे से मुक्त रखा जाना चाहिए। बाबा रामदेव के इस बयान ने अन्ना के खेमे में बेचैनी जरूर बढ़ा दी है। लोकपाल विधेयक की मसौदा समिति और अन्ना की टीम के महत्वपूर्ण किरदार अरविंद केजरीवाल का कहना है कि बाबा रामदेव को समझाने की कोशिश की जाएगी। इन सब बातों से इतना तो जरूर जाहिर होता है कि केंद्र सरकार की बीआरडी मिसाइल और कुछ करे या ना करे, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़ती नजर आ रही गैर सियासी जंग को आगाज से पहले ही लगभग दो फाड़ कर दिया है। बहुत बड़ी बात नहीं कि प्रधानमंत्री की अपील से गदगद बाबा रामदेव एक-दो दिन में अपने अनशन को स्थगित करने की घोषणा कर दें।
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