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भरोसा टूटने पर यार सब कुछ टूट जाता है

मैं, लेखनी और जिंदगी
मैं, लेखनी और जिंदगी
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भरोसा है तो रिश्तें हैं ,रिश्तें हैं तो खुशहाली
भरोसा टूटने पर यार सब कुछ टूट जाता है

यारों क्यों लगा करतें हैं दुश्मन जैसे अपने भी
किसी के यार जीबन में समय जब रूठ जाता है

समय की माँग है यारों रिश्तों को समय देना
अनदेखी में लगाया पौधा अक्सर सूख जाता है

बुरा कोई नहीं होता बुरे हालात होते हैं
दो पैसों के खातिर अपनों का साथ छूट जाता हैं

गज़ब हैं लोग दुनिया के गज़ब हैं रंग दुनिया के
जिसकी जब जरुरत हो तब ही रूठ जाता है

समय के साथ चलना क्यों बहुत मुश्किल हुआ करता
मदन जीबन यार बुलबुला है आखिर फूट जाता है

मदन मोहन सक्सेना

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