- 211 Posts
- 1274 Comments
मेरी पोस्ट “क्यों हर कोई परेशां है” ओपन बुक्स ऑनलाइन वेव साईट में
प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि मेरी पोस्ट “क्यों हर कोई परेशां है” ओपन बुक्स ऑनलाइन वेव साईट में शामिल की गयी है। आप सब अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएं करायें। लिंक नीचे दिया गया है।
Your blog post “क्यों हर कोई परेशां है” has been approved on Open Books Online.
To view your blog post, visit:
http://openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:556518?xg_source=msg_appr_blogpost
क्यों हर कोई परेशां है
दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है
ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है
अपनों संग समय गुजरे इससे बेहतर क्या होगा
कोई तन्हा रहना नहीं चाहें मजबूरी बनाती है
किसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता है
बिना मेहनत के मंजिल कब किसके हाथ आती है
क्यों हर कोई परेशां है बगल बाले की किस्मत से
दशा कैसी भी अपनी हो किसको रास आती है
दिल की बात दिल में ही दफ़न कर लो तो अच्छा है
पत्थर दिल ज़माने में कहीं ये बात भाती है
भरोसा खुद पर करके जो समय की नब्ज़ को जानें
“मदन ” हताशा और नाकामी उनसे दूर जाती है
मदन मोहन सक्सेना
Read Comments