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हे राम आशाराम

मैं, लेखनी और जिंदगी
मैं, लेखनी और जिंदगी
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हे राम
आशाराम
राम राम
जमीनो का अतिक्रमण
लड़कियों का योन शोषण
भ्रष्‍ट तरीको से पेसा कमाना
आस्था के नाम पर भावनाओ से खिलवाड़
क्या एसे होते हैं बाबा
सभी अपने नैनो को खोले
चंगुल से आज़ाद हो जाओ
कि कहीं अगला नंबर आपका ना हो
क्या हमें जरूरत है ऐसे डोंगी की
जाना है तो नारायण की शरण में जाओ
शिव की शरण में जाओ
और अपना जीवन सफल बनाओ
हमारे पास ज्ञान के लिये गीता है
वेद है
फिर भी हम बाबाओ के जाल में कैसे फंस जाते है
दुनिया को मोहमाया से मुक्त होने का संदेश देने वाला
खुद समधी का बहाना बना कर
पुलिस से बचना चाह रहा है
क्या बहाना लगाया है पुलिस से बचने का !
ये बापू और वो बापू गुजरात की ही धरती पर के दो अलग अलग उदाहरण
एक बेचारी नाबालिक लड़की के साथ
जिसका सारा परिवार इसको भगवान मानता हो
लड़की के पिता ने अपनी जमीन आश्रम के लिये दे दी हो
वो ही बाप आज कानून का दरवाज़ा खटखता रहा है
सी बी आई की जांच की मांग करता है
और कह रहा है अगर पिता गलत है तो फाँसी दे दो
नही तो बाबा को
अंधविश्वास को समाज मे फ़ैलाने बाला
लोगों को बहकाने वाला आज बाबा बना बेठा है
और अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम चलाने वाले
दाभोलकर जैसे समाजसुधारो को मौत के घाट उतार दिया जाता है
और पुलिस उन हत्यारो को पकड भी नही पाती
क्योंकि हिन्दुस्तान की पब्लिक भी बेबकूफ है
तभी तो इन दुष्टो का धंधा खूब फूलता फलता है
हे राम
आशाराम
राम राम

मदन मोहन सक्सेना

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