- 7 Posts
- 1 Comment
2019 का लक्ष्य तय कर पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। पार्टी चार साल पहले यह पार्टी जब सत्ता में आई थी कई कारक इसमें सहयोगी रहे थे। अब सब के सब विपरीत जाते दिख रहे हैं। जिस सांगठनिक ढांचे के बूत भाजपा बूथ स्तर पर अपनी दमदार पहुंच बनाने में कामयाब हुई थी अब अब छिन्न-भिन्न हो चुका है। कार्यकर्ताओं की सक्रियता घट गई है। सत्ता सुख और उसकी तहजीब ने उन्हें आम वोटरों से भी दूर कर दिया है। इस मोर्चे पर प्रतिद्वंद्वी पार्टियां मजबूति से उभर रही हैं। राजद इसमें सबसे आगे है। तेजस्वी के नेतृत्व में यह दल पिछले तीन सालों से जमीन और जनता से जुड़ने के अभियान में लगा हुआ है। बिहार के लगभग सभी जिलों में राजद ने बूथ स्तर तक संगठन का विस्तार पूरा कर लिया है। कांग्रेस भी इसी नक्शे कदम पर है। तीन राज्यों में मिली जीत ने एक ओर जहां इसके कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया है वहीं लोग भी केंद्र में इसे भाजपा के विकल्प के रूप में देखने लगे हैं। अगर भाजपा को केंद्र की सत्ता में बना रहना है तो उसे अपने सांगठनिक ढांचे को मजबूत करना पड़ेगा। ऐसे कार्यकर्ताओं को खड़ा करना होगा जो जनता तक सरकार की उपलब्धि पहुंचा सके।
Read Comments