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स्वदेशी

Madhupnath jha
Madhupnath jha
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यही मंत्र हो यही साधना, भारत भव्य बनाना है,
तंत्र स्वदेशी, मंत्र स्वदेशी, भाव स्वदेशी लाना है |
कामधेनु सी पूज्य धरा यह अन्न पूर्ण रत्नों की खान,
याचकता का भाव मिटाकर, अपना भारत बने महान |
वसुधा कठिन परिश्रम कर, नंदन वन सरसाना है,
तंत्र स्वदेशी, मंत्र स्वदेशी, भाव स्वदेशी लाना है |
अपना कृषि उद्योग बढेगा, गाँव-गाँव में होगी खुशियाली,
हर गरीब उठेगा, घर- घर में होगी दिवाली |
ज्ञान और विज्ञान बढ़ाकर, सुख समृधि लाना है,
तंत्र स्वदेशी, मंत्र स्वदेशी, भाव स्वदेशी लाना है |
अपना देश विदेश के आगे, अब ना कभी हाथ पसारे,
स्वाभिमान का भाव जगाकर, राष्ट्रभक्ति का भाव निखारे |
अपने त्याग तपस्या द्वारा राम राज्य फिर लाना है,
तंत्र स्वदेशी, मंत्र स्वदेशी, भाव स्वदेशी लाना है |

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