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पालिटिक्स में इंटरवल पीरियड

फंटूश
फंटूश
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मैं डा.रामचंद्र पूर्वे को बीस वर्ष से देख, सुन रहा हूं। इनमें पंद्रह वर्ष उनके राजपाट के हैं। विद्वान हैं। बड़ी अच्छी-अच्छी बात बोलते हैं। किसी भी बात या मसले को सिद्धांत रूप देना कोई उनसे सीखे। आजकल जनाब का इंटरवल पीरियड है। उनकी पूरी पार्टी (राजद) इसी मोड में है। मैंने उन्हीं के हवाले जाना है कि राजनीति में भी इंटरवल पीरियड होता है। मेरा तगड़ा ज्ञानवद्र्धन हुआ है। मेरे दिमाग में इंटरवल, चाय-फ्रूटी-समोसे की समवेत आवाजें और बाथरूम की तलब तक सीमित था। अब इंटरवल के राजनीतिकरण से वाकिफ हूं। आपसे शेयर करता हूं। मैंने पहली बार जाना है कि वाकई फुर्सत और ज्ञान का बड़ा पुराना वास्ता है। अगर शाब्दिक स्तर पर फुर्सत को इंटरवल पीरियड माने, तो इसमें खासकर नेता को ढेर सारा ज्ञान होता है। बेचारे को राजपाट के पीरियड में जनसेवा के चलते दम मारने का भी इंटरवल नहीं मिलता है। ज्ञान के लिए इंटरवल पीरियड जरूरी है। नेता, इस पीरियड का ज्ञान बांटना भी चाहता है। नेता ही क्यों, बड़े-बड़े लोग रिटायर करने के बाद मोटी-मोटी किताब लिखते हैं; मुद्दा जेनरेट करते हैं। अगर इसी मनोभाव में वे काम करें, तो ये मुद्दे रहे ही नहीं। खैर, बात पूर्वे जी और इंटरवल पीरियड की हो रही है। पूर्वे जी ने आदतन डा. राममनोहर लोहिया के इंटरवल ड्यूरिंग पालिटिक्स को राजद के इंटरवल पीरियड से जोड़ा हुआ है। वे लोहिया के चेला हैं। वे राजद के संकट का समाधान डा. लोहिया के तरीकों, उपायों में देखते हैं। उन्होंने डा.लोहिया के रास्ते को सिद्धांतत: स्वीकार तो कर लिया मगर इस पर चलना शुरू नहीं किया है। यही इस देश का संकट है। अच्छी बातें बोलना, उसे चुपचाप सुन लेना, हम भारतीयों से कोई भी सीख सकता है मगर इस पर अमल …? बहरहाल, मेरी राय में सबका अपना-अपना इंटरवल पीरियड है। सभी इसे खूब इन्ज्वाय कर रहे हैं। लालू प्रसाद को देखिये। उन्होंने अपने इंटरवल पीरियड को भगवान के दरबार में खपाया हुआ है। जब भी मौका मिलता है, वे निकल जाते हैं। कोई उन्हें इंटरवल पीरियड में डिस्टर्ब न करे, इसलिए उन्होंने मौनव्रत धारण किया। राबड़ी देवी अपने इंटरवल पीरियड में अपना सारा समय परिवार के बीच गुजार रहीं हैं। कुछ लोग चैता सुन रहे हैं। देखिये …, कांग्रेसी इंटरवल पीरियड में खूब सोते हैं। जहां-तहां सो जाते हैं। उस दिन रवींद्र भवन में सो गये थे। वहां बाबा साहब डा.भीमराव अंबेडकर की जयंती थी। कुछ कांग्रेसी इंटरवल पीरियड में खूब लड़ते हैं। इस दौरान उनमें अपनों की टांग खींचने की आदत कुछ ज्यादा सक्रिय रहती है। लोजपा का इंटरवल पीरियड दिलचस्प है। बड़े नेता पटना का रूख नहीं करते हैं। जहां-तहां मौज में पड़े हैं। पटना वालों को कोई नहीं मिलता है, तो अन्ना हजारे के खिलाफ ही मोर्चा खुल जाता है। उस दिन लोजपा वाले कह रहे थे-अन्ना कन्फ्यूज्ड हैं। रामविलास पासवान जी को बहुत दिन पहले सुना था। वे अपने अभिनेता पुत्र के बारे में सफाई दे रहे थे। मसला, उनके पुत्र के फिल्म की हीरोइन से संबंधित एक समाचार का खंडन था। कुछ दिन पहले वे विकिलीक्स द्वारा खुलासे पर अपनी बात कह रहे थे। हां, तारिक अनवर इंटरवल पीरियड में जब तब पटना में टपक जाते हैं। जो मन में आये, बोलकर निकल लेते हैं। उस दिन अन्ना को सलाह दे रहे थे कि वे अपनी पार्टी बनायें, सरकार बनायें। भ्रष्टाचार अपने-आप खत्म हो जायेगा। उपेंद्र कुशवाहा अपने इंटरवल पीरियड को खूब इन्ज्वाय कर रहे हैं। अपनी संपत्ति की घोषणा के बाद से जो वक्त मिला है, उसे दूसरों को भ्रष्ट साबित करने में लगाये हुए हैं। भाजपाई इंटरवल पीरियड में कोई बड़ा बवाल न हो जाये, इसलिए बड़ी चालाकी से अपनों को आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगाये हुए हैं। जदयू भी कुछ इसी मनोभाव में काम कर रहा है। इन दोनों सत्ताधारी जमात की कोशिश यही है कि वे अपने इंटरवल पीरियड को दूसरों को इन्ज्वाय करने नहीं दें। वामपंथी पार्टियां अपवाद हैं। उनका इंटरवल पीरियड नहीं होता है। और अंत में … शेखपुरा जिला में एक मजार है। यहां पंचायत चुनाव लडऩे वाले लोग अपना पर्चा चढ़ाकर मनौतियां मान रहे हैं। सबका दावा है कि यहां मनौती जरूर पूरी होती है। ये लोग लोकतंत्र की परिभाषा को बदल रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि जनता ही मालिक है।

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