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पॉलिटिकल योगासन

फंटूश
फंटूश
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थैंक्स टू बाबा रामदेव। आपने योग को खूब फैलाया है। फैला रहे हैं। च्यवनप्राश, मधु, तेल, घी, टॉफी, बिस्कुट, एलोवेरा, आटा …, बहुत कुछ, बहुत दूर-दूर तक फैल रहा है। देश तंदुरुस्त हो रहा है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा का वास होता है। मेरी राय में देश की तंदुरुस्ती के साथ उसकी बीमारियां बारी-बारी से, जल्दी-जल्दी दूर होंगी। सब बाबा जी की कृपा है। बाबा की लीला अपरंपार है। अबकी प्रणाम के साथ थैंक्स।

मैं देख रहा हूं-बाबा जी ने अपने योग के आसन को इनलार्ज किया है। योग के तरीकों को बढ़ाया है। नए-नए तरीके हैं। नए-नए फायदे हैं। आप भी देखिए, जानिए।

बाबा, अभी बिहार आए थे। नेताओं को आसन बताकर गए हैं। ये पॉलिटिकल आसन हैं। पातंजलि का योग, राजनीति तक विस्तारित है। वाह बाबा, वाह। मजा आ गया।

यह, बाबा का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए आसन है। इसका तरीका है-हाथ-पैर को बिल्कुल नार्मल रखते हुए ध्यानमग्न हो जाएं। नमो-नमो का जाप आरंभ करें। लम्बी सांस लेते रहें और इतनी बार लें, जब तक नमो, रग-रग में समा न जाएं। बाबा के अनुसार यह आसन महान भारत की महानता से जुड़ा है। यह देश के लिए बड़ा फलदायक है। इससे भ्रष्टाचार तो सीधे खत्म हो जाएगा, महंगाई को भी फौरन लगाम मिलेगी। सीमाएं सुरक्षित हो जाएंगी। चारों तरफ हरियाली-खुशहाली।

बाबा की माने तो इस आसन की पूर्णता या इसमें पारंगता के बाद दिव्य ज्ञान होता है कि कैसे जाति, जाति के लिए और जमात, बस जमात के लिए ही धरती पर आता है। बाबा बोल भी रहे थे-पिछड़ा होने और पिछड़ा, अति पिछड़ा की राजनीति करने के नाते नीतीश कुमार को अति पिछड़ा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए। मोदी, देश की सबसे बड़ी जरूरत हैं।

नीतीश कुमार को बाबा का नमो आसन पसंद नहीं है। उनके अपने आसन हैं। मैं, उस दिन नीतीश जी को सुन रहा था। उनसे बाबा की सलाह (आसन) के बारे में पूछा गया था। मैंने देखा, नीतीश चौंक गए। पूछे-कौन बाबा? खुद बोले-अच्छा योग वाले! देखिए, मैं मुंगेर वाला आसन (योग) करता हूं। मेरा काम उसी से चल जाता है।

बाबा ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए भी आसन फरमाया है। यह और इसका तरीका भी वही है, जो नीतीश कुमार के लिए है। इस आसन में भी सांस के जरिए नमो-नमो को शरीर के अंग-प्रत्यंगों में समाना है। बाबा के अनुसार इस आसन के बड़े फायदे हैं। इसमें दूसरों को बड़ा पद देकर अपने लिए भी ठोस जगह बना लेने की ताकत है। बाबा की जुबान से इस आसन का फायदा सुनिए-लालू प्रसाद, नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सहयोग करें और खुद मुख्यमंत्री बन जाएं।

बाबा के एक आसन में यदुवंशी शब्द खूब गूंजता है। बाबा ने इस आसन को जिस अंदाज में परोसा है, मुझे लगता है यह यदुवंशियों के लिए ही है।

खैर, बाबा के आसन पर लालू प्रसाद भड़क गए हैं। कह रहे हैं-ये वाला बाबा भी, आसाराम बापू की तरह जेल जाएगा। सांप्रदायिक हो गया है। आटा में मिलावट करके कुछ भी कर सकता है। ठग है। लोग इसके बहकावे में न आएं। उसके सामान का बहिष्कार करें। मैं समझता हूं-लालू जी को भड़कना ही था। उनको कौन, क्या खाकर सलाह दे सकता है? उनको समझा सकता है? उनके अपने आसन हैं।

उनका लेटेस्ट आसन देखिए-कानों-कान, कानों-कान, कानों-कानऽऽ …। लालू जी इसके बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं। मैंने जो समझा है, उसके अनुसार इस आसन में कान का अधिक इस्तेमाल होना है। इसके तरीके या फायदे को जदयू ने साफ किया है-यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की फोटो कॉपी है। कानों-कान का मतलब-खतरनाक दुष्प्रचार।

लालू प्रसाद आजकल ट्विटर आसन भी कर रहे हैं। नीतीश जी को आपत्ति है। नीतीश जी को उनकी उम्र का ख्याल है। नीतीश कुमार चाहते हैं कि बड़े भाई (लालू प्रसाद) चीं- चीं चें-चें (ट्विटर) के चक्कर में न फंसे। यह युवाओं के लिए है। चूंकि नीतीश बोल रहे हैं, इसलिए लालू नहीं मानेंगे। सो, लालू नहीं मान रहे हैं। राहुल गांधी सिलेंडर आसन में जुटे हैं।

मैं समझता हूं कि बाबा को अरविंद केजरीवाल व उनके सहयोगियों को आसन बताना चाहिए। राजनीति की इस नई पौध को मानसिक शांति की बड़ी दरकार है। रोज बखेड़ा है। हो जा रहा है। करा दिया जा रहा है।

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