Menu
blogid : 53 postid : 199

नेताओं की याददाश्त

फंटूश
फंटूश
  • 248 Posts
  • 399 Comments

दुर्गा पूजा में बहुत बुरी खबर है। अपने चिदंबरम साब की याददाश्त कमजोर हो गयी है। उन्हीं के अनुसार उनको बहुत कुछ, बहुत याद नहीं है।
अब मुझको यह पता नहीं है कि याददाश्त के चलते साब जी को घर में कितना और कितने तरह का प्राब्लम हो रहा है? वे अपना इलाज करा रहे हैं या नहीं? मगर मैं जरूर देख रहा हूं कि देश प्राब्लम में है; कांग्रेस पार्टी प्राब्लम में है; प्रधानमंत्री प्राब्लम में हैं।
मेरी राय में यह टू जी स्पेक्ट्रम (घोटाला) का आफ्टर इफेक्ट हो सकता है। इसका बड़ा मजबूत रे (किरण) है रे भाई! दिमाग के नस को डिस्टर्ब कर दिया है। यह अपने तरह की नई बीमारी है। डाक्टर इसे मजे में शोध सकते हैं। नई बीमारी का नया इलाज तलाश सकते हैं।
चिदंबरम साब अपनी याददाश्त की सीमारेखा बता रहे हैं। यह किसी भी हालत में टू जी स्पेक्ट्रम तक नहीं पहुंच रहा है। उनको इससे जुड़ा कुछ भी याद नहीं है। बेचारे सबकुछ भूल चुके हैं। याद करने की कोशिश में झुंझला जाते हैं। उनका बाडी लैंग्वेज, उनके स्वभाव के खिलाफ हो रहा है। इस बीमारी के कई बड़े खतरे हैं। साब जी के पास बड़ी जिम्मेदारी है। बड़ा पद पर बैठा आदमी बड़ा-बड़ा काम करता है। पता नहीं कब, क्या भूल जाये? क्या कर डाले, फिर बोल दे कि सारी, मैं भूल गया था। सारी, मुझे कुछ याद नहीं है।
मैं नहीं जानता कि अभी तक सुरेश कलमाडी जी की याददाश्त ठीक हुई है या नहीं? उनको भी सेम प्राब्लम है। चिदंबरम साब की तरह भूलने की बीमारी है। सर जी, राष्ट्रमंडल खेल के बारे में सबकुछ भूले हुए हैं। सीबीआई क्या खाकर, उनसे क्या जान लेगी? सीबीआई को कलमाडी साब से कुछ जानना है, तो उनकी याददाश्त के ठीक होने तक इंतजार करे।
अभी अमर सिंह गिरफ्तार होने के बाद जब अस्पताल पहुंचे थे, तो मुझे लगा था कि कलमाडी वायरस ने उनको भी संक्रमित किया है। लेकिन अमर सिंह, अमर सिंह हैं। इस स्वयंभू शख्स को कोई वायरस क्या कर लेगा? उनको भूलने की बीमारी नहीं है। वे अपनी दूसरी बीमारियों से परेशान हैं। इलाज हो रहा है। अमर सिंह अपवाद हैं।
फिर भी मेरा दोबारा आग्रह है कि कलमाडी वायरस शोध लिया जाये। इसका इलाज, इसकी दवा तय हो जाये। यह बहुत जरूरी है। इधर इस वायरस के कई केस आये हैं। बेशक, कलमाडी साब ने राजनीति में भुलक्कड़ी को नया आयाम दिया है। उनको दुनिया हमेशा याद रखेगी। मगर बड़ी सच्चाई यही है कि नेता भुलक्कड़ होता ही है। नेता को शायद ही कुछ याद रहता है। इसे मधु कोड़ा ने भी साबित किया है। कोड़ा, डायरी लिखते थे। डायरी, याद को दुरुस्त रखने का अच्छा माध्यम है। लालू प्रसाद गांवों को निकलने वाले हैं। वे गांवों में कैम्प करेंगे और लोगों से अपनी गलतियां पूछेंगे। लालू प्रसाद को अपनी गलतियां याद नहीं हैं। वे इसे भूल चुके हैं।
भूल जाना, नेताओं की कामन बीमारी है। वायदा, संविधान पर हाथ रखकर ली गई शपथ, नीति, सिद्धांत, पुराने दिन, संस्कार, नैतिकता, आदर्श, ईमानदारी  …, सिवाय कुर्सी के उसे कुछ भी याद नहीं रहता है। हां, कई मौकों पर उनकी याददाश्त उनके परिवार तक जरूर विस्तारित होती है। कुछ नेता अपनी पार्टी भूल जाते हैं। कुछ को यह भी याद नहीं रहता है कि वे सुबह में किस पार्टी का नारा, झंडा ढो रहे थे और शाम में किस पार्टी में हैं?
नेता चलते-फिरते जिला- अनुमंडल बना देते हैं। भूल जाते हैं। नेता, थोक भाव में सुनहरे सपने परोसते हैं। भूल जाते हैं। कुछ नेता आइडिया ईजाद करते हैं, सुर्खी पाते हैं और फिर भूल जाते हैं। कुछ लोग सबकुछ याद रखते हुए, सबकुछ भूले रहते हैं। कुछ की चुप्पी बताती है कि वे सबकुछ भूल चुके हैं। नेता जमात के लिए नई दवा, नया इलाज-इस देश और समाज की जरूरत है। यह भारत का चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान होगा।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh