Posted On: 25 Oct, 2015 Others में
गो-वध
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नेता जी पाखण्डी है गये,
नहीं बची है उनकी शाख।
गैया के हत्यारे पाते,
नौ पंजे पैंतालीस लाख।
कटती गैया श्राप दे गयी,
धूल मिंलेंगे होंगे राख।
महारथी हे किशन कन्हैया,
सत्य करो धेनू के भाख।।
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मैया के रखवाले मरते,
मारनहार मनावें मौज।
बहुत बुरी है बोली इनकी,
हरदम गाली और गलौज।
मैया का अपहरण करन कूं,
बना रखी है लम्बी फौज।
एक सूत्र है गोवध करना,
दुर्गा पूनौ हो या दौज।।
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