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इस्तुति जुगल रूप की

maharathi
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पीली पोखर रहे नील नीरज खिले,
फैलती है छटा मोहनी आपकी।
इक कुमुदिनी खिली लाल थीं पंखुड़ी,
लाल जोड़े में राधा बनी आपकी।
वायु भंवरे लहर गाते सरगम सभी,
मानो मुरली से निकले ध्वनी आपकी।
इस्तुति है जुगल रूप की लाड़ली,
हो कृपा महारथी पे घनी आपकी।।

पीली पोखर रहे नील नीरज खिले,

फैलती है छटा मोहनी आपकी।

इक कुमुदिनी खिली लाल थीं पंखुड़ी,

लाल जोड़े में राधा बनी आपकी।

वायु भंवरे लहर गाते सरगम सभी,

मानो मुरली से निकले ध्वनी आपकी।

इस्तुति है जुगल रूप की लाड़ली,Radha Ashtami

हो कृपा महारथी पे घनी आपकी।।

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