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दहला पकड़ (घनाक्षरी छन्द)

maharathi
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मैंने पूछा नेता जी से तास खेलते हैं आप

बोले राजनीति का ही खेल हम खेलते हैं

यहाँ चार रंग हैं तो वहां चार पार्टी हैं

यहाँ ट्रम्फ वहां सरकार तुम झेलते

इक्का राष्ट्रपति बादशाह है प्रधानमंत्री

गुल्ला बेगम मंत्री का रुतबा हैं पेलते

शेष अवशेष सब मन्तरी के संतरी हैं

चलें सभी चालें खास चाल खास ठेलते।।1।।

पपलू है आम जन मुख्य खेल से है दूर

वहाँ एक खेल डबल हैण्ड मारा जाता है

दहले पे पहले ही हाथ साफ करने को

बिछी हैं बिसातें अब चालें चले जाता है

दुग्गी हो या दहला चलें हैं चालें नित नई

मंतरी ही संतरी पे भारी पड़ जाता है

पर कभी कभी दुग्गा आता है विरोधियों का

मंत्रीजी की जान का बवाल बन जाता है।।2।।

एक चाल पूरी हो तो नई डील नई ट्रम्फ

फिर एक नई सरकार बन जाती है।

कभी ट्रम्फ एक रंग की कभी दूसरे की देखो

कभी लगातार एक ही की लग जाती है।

पत्ते वे ही बावन हैं चाहे पूरे दिन खेल

जनता है कि वो बेवकूफ बन जाती है

हैं समान खेल दोनों एक में घोटाला और

दूसरे में बेइमानी खूब फल जाती है।।3।।

ध्यान दहले पे रख नेता जी जलील करें

छोटे खेल खेल रही जनता बिचारी है

प्रिय मित्र राजनीति के बड़े खिलाड़ी आप

जन के हैं नायक अरु जनता विसारी है

पाँच वर्ष बाद फिर आना सपने दिखाना

धोखा देना भाग जाना काम सरकारी है

प्रिय कोई कैसी भी ना गलती करे हैं आप

सपनों के पीछे हम गलती हमारी है।।4।।

मैं खिलाड़ी छोटा ताल ठोक तास खेलता हूं

जिस दिन तास बदरंग हो जाऐंगे

तास की ये गड्डी मान के गले की हड्डी फिर

फाड़ फेंक दूंगा तास दूर हो जाऐंगे

गड्डी हड्डी छोड़ के कबड्डी खेल खेल लेंगे

अपनी है क्या कि हम यूं ही तर जायेंगे

आप हो खिलाड़ी बड़े छोटा खेल भाये नहीं

कैसे तो जियेंगे और कैसे मर पायेंगे।।5।।

डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी

वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)

+919319261067

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