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माँ (छन्द)

maharathi
maharathi
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जब जब डरा अंधकार से

बचपन में आधी रात को ।

कर बंद आंखें छुप  गया

आँचल जगा कर मात को ।

वह बैठ कर आंचल संजोती

लाड़ करती तात को ।

सब झेल जाती दुख मगर

कहती न मुख इक बात को ।।1।।

बीमार जब जब सुत हुआ

छोड़ा न इक पल हाथ को ।

पट्टी रखी जल की कि फिर

सहला उठी थी माथ को ।

कर आंख दोनों बंद मन

में पूजती श्री नाथ को ।

कर बंद आंखें चल पड़ी

अब छोड़ कर वह साथ को ।।2।।

डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी

वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)

+919319261067

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