चुनाव का मौसम,फिर रहनुमा बनने की होड्
यूपी सहित देश के अन्य कई राज्यों में विधान सभा चुनाव शुरू हो गया है। करीब पांच साल तक जनता से लगभग दूर रहने वाले तथा कथित रहनुमा अब एक बार फिर चुनावी मैदान में जनता की अदालत में दाखिल हो गए हैं। शहर की गलियां हों या गांव की पगडंडी, हर जगह नेताओं की कतार है। हर बार के चुनाव की तरह इस बार भी नेता अपने कुनबे के साथ निरीह जनता के सामने पहुंच रहे हैं, कोई गांव की तंग सड़क बनवाने का वादा कर रहा है तो कोई इस बार लाल कार्ड का भरोसा दे रहा है। बेबस जनता भी क्या करे, नेताओं के वादे को चालाकी के साथ पढ़ रहे हैं और उनको आश्वासन भी उन्हीं के तरीकों से देने में पीछे नहीं हैं।
रहनुमा बनने वाले नेताओं के कुनबे में कई ऐसे राजनेता भी हैं, जिनकी पत्नियां भी चुनावी समर में जनता के बीच जाकर वोट का आशीर्वाद मांगने में पीछे नहीं हैं।
मैले कुचैले कपड़े में खड़े वोट के भगवान को नेताओं की पत्नियां पैर छूकर आशीर्वाद लेने मे काफी आगे हैं। उन फोटोग्राफ को सोशल मीडिया में पोस्ट कर लोगों की पसंद का आकलन भी कर रहेे हैं।
काश,ये राजनेता और उनकी पत्नियां चुनाव बाद भी जनता के बीच जातीं और उन मैले कुचैले वोट रुपी भगवान का आदर करतीं और फिर उनका पैर छूकर आशीर्वाद मांगतीं तो कितना बेेहतर होता।यूपी सहित देश के अन्य कई राज्यों में विधान सभा चुनाव शुरू हो गया है। करीब पांच साल तक जनता से लगभग दूर रहने वाले तथा कथित रहनुमा अब एक बार फिर चुनावी मैदान में जनता की अदालत में दाखिल हो गए हैं। शहर की गलियां हों या गांव की पगडंडी, हर जगह नेताओं की कतार है। हर बार के चुनाव की तरह इस बार भी नेता अपने कुनबे के साथ निरीह जनता के सामने पहुंच रहे हैं, कोई गांव की तंग सड़क बनवाने का वादा कर रहा है तो कोई इस बार लाल कार्ड का भरोसा दे रहा है। बेबस जनता भी क्या करे, नेताओं के वादे को चालाकी के साथ पढ़ रहे हैं और उनको आश्वासन भी उन्हीं के तरीकों से देने में पीछे नहीं हैं।
रहनुमा बनने वाले नेताओं के कुनबे में कई ऐसे राजनेता भी हैं, जिनकी पत्नियां भी चुनावी समर में जनता के बीच जाकर वोट का आशीर्वाद मांगने में पीछे नहीं हैं। मैले कुचैले कपड़े में खड़े वोट के भगवान को नेताओं की पत्नियां पैर छूकर आशीर्वाद लेने मे काफी आगे हैं। उन फोटोग्राफ को सोशल मीडिया में पोस्ट कर लोगों की पसंद का आकलन भी कर रहेे हैं।
काश,ये राजनेता और उनकी पत्नियां चुनाव बाद भी जनता के बीच जातीं और उन मैले कुचैले वोट रुपी भगवान का आदर करतीं और फिर उनका पैर छूकर आशीर्वाद मांगतीं तो कितना बेेहतर होता।
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