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कानून का दुरुपयोग

Mahesh chandra
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भारतीय न्यायिक प्रणाली कितनी लचर है इसका जीता जागता प्रमाण निर्भया कांड में दोषियों के वकील एपी सिंह द्वारा फांसी की तिथि को निरंतर आगे बढ़वाने की घटना से मिलता है। एपी सिंह भले ही अभी निर्भया कांड के दोषियों के वकील के रूप में देश की अधिसंख्य आबादी के लिए विलेन बने हो, मगर आने वाले समय में उनका यह प्रयास कानून की खामियों को संशोधित करके न्याय में लेटलतीफी को खत्म करने में मददगार सिद्ध होगा।

 

 

 

मुझे पूरी उम्मीद है की एपी सिंह जी को भी अंतिम परिणाम के बारे में कोई संदेह नहीं होगा और दोषियों की फांसी को आजीवन कारावास में परिवर्तित करवाने में उन्हें असफलता ही मिलेगी यह भी ज्ञात होगा। इसलिए मुझे लगता है कि ए पी सिंह को इस बात के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए की उन्होंने जनमानस की नाराजगी को झेल कर भी कानूनी छिद्रों को जनता के सामने लाने का काम किया है।

 

 

 

इस केस के निर्णीत हो जाने के बाद फांसी के संदर्भ में जेल मैनुअल में सुधार की प्रक्रिया अवश्य शुरू की जानी चाहिए जिससे किसी भी दोषी को अंतिम निर्णय के बाद  सजा में देरी  का लाभ ना मिल सके।

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्‍वयं उत्‍तरदायी हैं।

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