बागी बलिया जय जय जननी मातृभूमि माटी उत्तर पर्देश जननी भारत माता की जय
57 Posts
8 Comments
पंचतात्विक राष्ट्र-वंदना
तेरी धरा तेरा गगन वाचाल जल पावन अगन बहता हुआ पारस पवन मेरे हुए तन मन वचन तेरी धरा महकी हुई मंत्रों जगी स्वर्गों छुई पड़ते नहीं जिस पर कभी संहार के बहते चरन
तेरा गगन फैला हुआ घिर कर न घन मैला हुआ सूरजमुखी जिसका चलन जीकर थकन पीकर तपन
वाचाल जब चंचल रहा आनंद से पागल रहा जिसका धरम सागर हुआ जिसका करम करना सृजन
पावन अगन क्या जादुई तेजस किरन रचती हुई जिसमें दहे दुख दर्द ही जिसमें रहे ज़िंदा सपन
पारस पवन कैसा धनी जिसकी कला संजीवनी जो बाँटता हर साँस को जीवन-जड़ा चेतन रतन
सोम ठाकुर
जय जय जननी मातृभूमि माटी उत्तर पर्देश जननी भारत माता की जय- भारत माता भक्त क्रांतिकारी मनीष सिंह-भारत माता एक मौका दो तुम्हारा क़र्ज़ चुकाने का ,अपने इस बेटे से जो तुम माँगो जान, अपना सर काट कर समर्पित कर देगा ये क्रांतिकारी मातृभूमि भारत माता भक्त मनीष सिंह. जय जय जननी मातृभूमि माटी की जय
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments