Menu
blogid : 27028 postid : 6

किसान मध्यम परिवार

manjushapandey
manjushapandey
  • 2 Posts
  • 0 Comment

तीन बहन और चार भाई की कहानी है।जिनके नाम है मीना , कुमकुम , गीता और भाई के नाम अशोक , राकेश,शिवा और निखिल।

पिता एक मध्यम किसान थे । माँ घर परिवार की देख भाल करने वाली आदर्शवादी महिला थी,इनके घर की हालत ठीक नही थी। ये किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण करती थी । अपने घर की हालत ठीक नही थी तो इज्जत के मारे किसी को बताने लायक भी नही थी की बेचारे पिता – बुधन जी कोई बात अपनी पत्नी से भी नही कहे , लेकिन पत्नी सीता पति के मन की सभी बातों को समझ जाती थी।अपनी आंसू की घुट पी- पीकर अंदर ही अंदर रह जाती थी । एक दिन बड़ी बेटी कुमकुम अपनी माँ को रोते हुए देखी तो अपनी माँ से पूंछ बैठी म आप क्यों छुप – छुप कर रोती हैं। आप कुछ कह भी पति की आपको क्या तकलीफ है जिससे में आपकी तकलीफ को बटकर मैं पूरा तो नही पर आधा तो कम कर सकती हूँ । माँ  यह बातें सुनकर फफक – फफक कर रोने लगीं और मिनाभि आ गई । वह भी माँ को देखकर रोने लगी । तीनो बहने रोने लगीं तभी मिना बोली शायद आप नहीं बता रहीं हैं कि आपके ऊपर हैम तीन बहनो का बोझ हो गया है । इस बोझ से आप डरिये नहीं माँ यह बोझ ही आपके दिलों के बोझ को हल्का कर देगी आप माँ तनिक भी नहीं सोचिये की हमलोगों का विवाह कैसे होगा। लेख का लिखा भगवान भी नहीं मिटा सकते । जो होना होगा किस्मत में भी वही होगा । हंसो माँ हँसो बाबूजी आप भी हंसे दुख के दिन खुशी से कट जाएंगे । तभी बड़ी बेटी की नौकरी हो गयी एक सरकारी विद्यालय में शिक्षिका के रूप में । यह सूचना पोस्टमैन ने चिठी के माध्यम से दिया। गीता को मजिस्ट्रेट की नौकरी मिल गयी फिर  मिना ने तो  यू.पी.एस.सी में सबसे उच्च स्थान प्राप्त किया और वह खुशी से उछल पड़ी । माँ के सभी दुख के दिन समाप्त होने लगे । तीनो बहने अपने भाइयों को खूब पढ़ाने की ठान ली भाई अशोक , रमेश , शिवा, निखिल सभी सभी पढ़ने के बाद नौकरी करने लगे । अशोक औऱ रमेश ने शिक्षक की नौकरी पा ली । शिवा को एक पदाधिकारी की नौकरी मिली । निखिल को ग्रामीण बैंक में नौकरी मिल गई । बाबूजी के तो भाग्य ही बदल गए। बेटियों की अच्छी शादी हो गयी । सभी बच्चों और माँ – बाबूजीके भाग्य बदल गए। इस परिवार को देखकर आस पड़ोस वाले तारीफ करने लगे । वो माँ जो कल अपने परिवार के बोझ तले फफक – फफक कर रो रही थी आज वही माँ औऱ बाबूजी हंस कर दिन गुजर करते हैं । बेटियों और बेटों की खुशी देखकर हंसी के ठहाके लगते हैं । मेहनती किसान मध्यम परिवार की कहानि

लेखक – मंजूषा पांडेय

लेक्चरर – हिंदी

 

 

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh