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तेरे मन के द्वारे अहम खड़ा
कैसी अंदर आऊँ मैं
उसने तोड़े सारे रिश्ते-नाते
कैसे तुम्हे बताऊँ मैं
तेरे मन के द्वारे अहम खड़ा………..
अहम ने तुमको सिखलाया
हर बात तुम्हारी अच्छी थी
तुमको छोड़ गए जो सब
उनकी प्रीत ही तुमसे कच्ची थी …..2
कैसे दिखलाऊँ मैं राह सही
कैसे तुम्हे बताऊँ मैं ………..
तेरे मन के द्वारे अहम खड़ा………..
अहम ने तुमको सिखलाया
हर बार उनकी गलती थी
तूने सोची-कही हर बात सही
उनकी हर बात में ही गलती थी
तुमको छोड़ गए जो वो
उनकी प्रीत ही तुमसे कच्ची थी ….. 2
कैसे दिखलाऊँ मैं राह सही
कैसे तुम्हे बताऊँ मैं ………..
तेरे मन के द्वारे अहम खड़ा…………..
अहम ने तुमको सिखलाया
जो तुमको है, वो है ज्ञान बहुत
जो किसी ने कुछ कहा तुमसे
तूने दिखलाया अभिमान बहुत
तुमको छोड़ गए जो वो
उनकी प्रीत ही तुमसे कच्ची थी ….. 2
कैसे दिखलाऊँ मैं राह सही
कैसे तुम्हे बताऊँ मैं ………..
तेरे मन के द्वारे अहम खड़ा…………..
अगर सुनना चाहो मेरी बातें
सुन तुझको आज बताऊँ मैं
जिसके सर पे अहम बसे
न सुख होगी न समृद्धि ही
न रिस्ते में, मैं प्रेम बसूंं
न मस्तिक में सद्बुद्धि ही……..2
तेरे मन के द्वारे अहम खड़ा।
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