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हैं, अन्धियारी रात सही

Mann
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हैं, अन्धियारी रात सही
क्या ऊजयारे की आश नहीं
जीवन है तो, दुख भी होगा
क्या सुख की कोई बात नहीं

 

जीवन तो एक नदी सी है
सुख-दुख दो किनारे हैं
जीवन चलता, नदी बहती
रोध-अवरोध तो आते रहते हैं

 

किसी के रोके न नदी रुकती
जीवन मे हम भी बढ़ते जाते हैं
हैं, अन्धियारी रात सही …..2

 

तेरे रुकने से क्या होगा
समय को बांध, कोई क्या पाया है
नदी की जो हैं बहती लहरें
कोई बांध बांध क्या पाया है
ले नवीन दिशा, उत्साह लिए

 

जीवन में आगे बढ़ता चल ……2
हैं, अन्धियारी रात सही …..2

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