Menu
blogid : 14779 postid : 1147204

एक गीत सजाने आया हूँ

Mann
Mann
  • 90 Posts
  • 39 Comments

शब्दों के मोती चुनकर
एक गीत सजाने आया हूंं
जो खोया-पाया, जीया जग में
जग की रीत बताने आया हूंं ….
एक गीत सजाने आया हूँ …….

 

अपने हैं या सब पराए
सुख हंंसाए, दुख रुलाए
सब मोह बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूंं……….

 

दुख मुझमें, सुख भी मुझसे
जो भोगा ,भोगूूं,भोगुंंगा जग में
फल, निज कर्म बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूंं……….

 

एक पल अपना था, हुआ बेगाना
निज हितकारी जिसको जाना
सब समय का खेल बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूंं……….

 

सुनो धर्म के ठेकेदारोंं
धर्म को इन्सांं से ऊंचा रखने वालोंं
मानवत ,निज धर्म बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूं…..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply