Mann
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शब्दों के मोती चुनकर
एक गीत सजाने आया हूंं
जो खोया-पाया, जीया जग में
जग की रीत बताने आया हूंं ….
एक गीत सजाने आया हूँ …….
अपने हैं या सब पराए
सुख हंंसाए, दुख रुलाए
सब मोह बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूंं……….
दुख मुझमें, सुख भी मुझसे
जो भोगा ,भोगूूं,भोगुंंगा जग में
फल, निज कर्म बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूंं……….
एक पल अपना था, हुआ बेगाना
निज हितकारी जिसको जाना
सब समय का खेल बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूंं……….
सुनो धर्म के ठेकेदारोंं
धर्म को इन्सांं से ऊंचा रखने वालोंं
मानवत ,निज धर्म बताने आया हूंं
एक गीत सजाने आया हूं…..
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