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क्या आप बहुत अधिक शरमाते हैं ?

विज्ञान जगत और मेरा समाज
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“आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एरिथ्रोफोबिया एक ऐसी बिमारी है जिसकी चपेट में बच्चो से लेकर बड़ो तक अधिकतर कुछ लोग आ ही जाते हैं और मजे की बात तो यह है कि हमको पता ही नही होता कि क्या हम किसी बीमारी के शिकार है ? आप इस बात को घंभीरता से लेते ही नही ,इसके प्रति सचेत ही नहीं होते और धीरे धीरे यह आपके करियर , आपकी जिंदगी पर ऐसा बुरा असर डालती है कि आप सफलता की रेश में काफी पीछे रह जाते हैं। अब आप सोच रहे हैं कि लिखता ही जा रहा लेकिन समझ में यह नहीं आ रहा कि आखिर ये ऐसी क्या बीमारी है। इस पोस्ट में हम इस बिमारी के बारे में बताने जा रहे हैं और साथ ही साथ यह भी बतायेगे कि आखिर इस पर कैसे काबू पाएं ?”

दरसल एरिथ्रोफोबिया बीमारी और कुछ नहीं बल्कि शर्माने की बिमारी है , मतलब की जो लॉग बात बात पर शर्माने लगते हैं या जिनको शर्माने की आदत कुछ जाय्दा ही है, तो वह सुन ले कि अधिक शरमाना एक बीमारी है। जिसका वैज्ञानिक नाम है एरिथ्रोफोबिया और आप इसे हलके में न ले क्यों कि शरमाने की बढ़ती आदत न सिर्फ आपको रोगी बनाते है बल्कि आपकी यह बढ़ती आदत आपके अंदर बात बात पर न बोल पाने की और झिझकने की बीमारी पैदा कर देती है। जिसके कारण आपका आत्मविश्वास कम होता जाता है और इससे आपके सोचने की , तर्क करने के क्षमता भी कम होती जाती है और आपकी सारी पर्सनालिटी को भी प्रभावित करती है।

आप बात बात में दुसरे के सहारे की तलाश में रहते हो। आपको कोई छोटा सा काम करने में भी दुसरो के सहारे की जरूरत महसूस होने लगती है। किसी से बात करने का हिम्मत नही जुटा पाते। यहाँ छात्र लोग ध्यान दे कि आगरा आपमें बात बात में शर्माने कि आदत है तो आपको विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्यों कि ऐसे छात्र प्रश्न पूछने में संकोच करते हैं और साथ ही साथ किसी प्रश्न का जवाब भी नही दे पाते ,भले ही उनको उसका जवाब पता हो। जहा भी नौकरी कि तलाश में इंटरव्यू देने जाते हैं उनको अधिकतर असफलता ही हाथ लगती है। ऐसे छात्रों में इंटरव्यू के नाम से कम्पन्न होने लगता है। वो डरने लगते हैं और जब केबिन में बैठे इंटरव्यू लेने वाले पैनल के सामने बैठते हैं तो संकोच के कारण वह सही सही जवाब नही दे पाते या कुछ यूँ कहिये कि खुद को साबित नहीं कर पाते। एक बात याद रखे कि शर्म से झिझक पैदा होती है और इस झिझक के कारण आप सही से अपनी बात को दूसरो के सामने नहीं रख पाते भले ही आपको सही सही आता हो। ऐसे हालात आपके आत्मविश्वास को कम करने वाले होते हैं और जब यह घटना आपके साथ साथ बार बार होती है तो फिर आत्मविश्वास जवाब दे जाता है और समाप्त हो जाता है।

यह रोग केवल छात्रों के लिए ही घम्भीर नहीं , बल्कि उन सभी को इसमें सुधार कि जरूरत है जिनमे यह आदत अधिक है . क्यों यह बात सभी पर लागू होती है कि यदि आपमें शरमाने की आदत है तो आप अपनी बात को दूसरो के सामने सही से नही रखा पाते, नतीजन कोई आपकी बात को महत्व नही देता और आपको नुक्सान झेलना पड़ता है।

एरिथ्रोफोबिया से कैसे पाये छुटकारा ?

एरिथ्रोफोबिया मतलब शरमाने की इस बीमारी से कैसे छुटकारा पाये ? इसके लिए आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं शायद आपके लिए उपयोगी साबित हो।

    सबसे जरूरी बात जो आपको ध्यान रखनी है ,वह यह है कि इसका इलाज़ आपके अपने हाथो में है ,आपका अपना आत्मनियंत्रण आपने एक आत्मविस्वास पैदा करता है।

    शरमाना जरूरी है लेकिन जरूरत पड़ने पर ही , बात बात पर ,बार बार नही।

    अनजान लोगो से बेझिझक मिले , बाते करे।

    दोस्तों के साथ समूह तर्क करने से घबराये नहीं बल्कि तर्क करे और खुद पूछे और दूसरो को भी बताये।

    जैसी ही आपको शर्म का अहसास हो अपना ध्यान किसी दुसरे काम में लगाए।

    समय समय पर अपने आप कि जांच करे कि क्या आपकी इस आदत में कुछ सुधार हो रहा है या नहीं यदि हो रहा है तो यह आपके अंदर आत्मविश्वास पैदा करता है।

    अपने साथ साथ दूसरो का भी ख्याल रखे यदि कोई आपके सामने शरमा रहा है तो उसको तुरंत वही इस बात कि याद दिलाये यकीन मांए आपको अच्छा महसूस होगा।

आत्म विश्वाश बढ़ाने के लिए कुछ जरूरी टिप्स
मनोज कुमार @डायनामिक

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