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कुपोषण और हमारा समाज !

विज्ञान जगत और मेरा समाज
विज्ञान जगत और मेरा समाज
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हमारा देश ऋषि मुनियो के समय से ही प्रकृति की एक अद्भुत देन है। जहा पर अनेक प्रकार के औषधीय पौधे ,जड़ी बूटी, फल फूल , मेवे , आनाज फसल , वनसप्ति , घी ,दूध सभी चीज़ो का भण्डार हमेशा से रहा है। हमारे देश में उन सभी चीज़ो का पर्याप्त भण्डार है जो एक स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक हैं किन्तु फिर भी आज अनेक लोग ऐसे हैं जो कुपोषण के शिकार हैं क्यों की उनको पौष्टिक आहार नही मिल पाता।

अगर हम वर्तमान समय की बात करे तो हम पायेगे की हम पैसा कमाने के चक्कर में इतने लालची हो गए हैं की हर चीज़ में मिलावट करने लगे हैं। दूध ,घी से लेकर फलो एवं सब्जी आदि में रासायनिक पदार्थो को मिलाने लगे हैं। महंगाई ने इतनी कमर तोड़ राखी है की गरीब आदमी प्रतिदिन फलो एवं दूध आदि का सेवन भी नही कर पाता। यह हमारे देश की विडंबना ही है की जहा एक ओर मंदिरो के आगे बैठे ,चौराहो पर बैठे बच्चे एवं बड़े 2 वक़्त की रोटी के लिए मोहताज हैं ,घी दूध तक नसीब नही हो पाता, वही दूसरी ओर अंधविश्वास में डूबे लोग मंदिरो में शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर इतना दूध व्यर्थ करते हैं। जरा सोचिये अगर यही दूध इन जरूरतमंदो को मिलता तो कितना अच्छा होता।

अभी हाल ही में आई एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार आज सारे विश्व में हर 3 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति कुपोषण का शिकार है। हर देश में आज कुपोषण एक गंभीर समस्या है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। हाल ही में “थिंक टैंक इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई)” की ओर से जारी की गयी ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण समाधान के लिए जो उपाय हैं उन्हें धन, कौशल या राजनीतिक दबाव के कारण लागू किये जाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘कुपोषण बदलाव का वाहक या प्रगति का बाधक भी हो सकता है” इसलिए हर देश के नेताओं को कुपोषण को गंभीरता के साथ लेना चाहिए। इसे किसी भी रूप में खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।’ आईएफपीआरआई के वरिष्ठ शोधार्थी और रिपोर्ट के प्रमुख लेखक लॉरेंस हड्डाड ने एक बयान में कहा, ‘जब हममें से हर तीन में एक व्यक्ति अक्षम है तो परिवार, समुदाय और देश के तौर पर हम आगे नहीं बढ़ सकते’ . बात भी सही है अगर तीन लोगो में से हर एक लोग कुपोषण का शिकार होगा तो हम कहा से उन्नति करेंगे ?

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