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1 -निगमानंद का बलिदान : निसंदेह यह हमारे समाज ब जनता के चुने हुए नेताओ के लिए बहुत शर्म की बात है !
जब एक ओर बाबा रामदेव जी अपना अनशन चला रहे थे.दूसरी ओर बाबा निगमानंद जी अपने प्राण त्याग रहे थे.मिशन गंगा के तहत गंगा से अवैध रेत खनन के विरोध में एक सौ सत्रह दिन से आमरण अनद्गान करने वाले हरिद्वार के मातृ सदन के साधु निगमानंद की मौत खामोशी के साथ हो गई और मीडिया ने इसकी चर्चा तक करना जरुरी नही समझा । नदियों से अवैध रेत खनन पूरे देश में अवैध रुप से किया जाता है और इस कारोबार में लगे माफिया के सामने लोकतंत्र के सर्वोच्च प्रतिष्ठान भी असहाय साबित हुए हैं । यह बड़े अफसोस की बात है कि उत्तराखंड की सरकार ने निगमानंद जी के अनशन को कभी गंभीरता से नहीं लिया ।
निगमानंद जी भी रामदेव जी की तरह होते तो मीडिया से लेकर सरकार सब उनके चरणों में लोटपोट होती रहती । रामदेव जी के दो दिन के अनशन का रात दिन प्रसारण करने वाले टीवी चैनलों ने कभी एक मिनट भी निगामानंद जी को नहीं दिया ।
पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह जरुरी है कि नदियों में उचित मात्रा में रेत का जमाव बना रहे । लेकिन मुफ्त के करोड़ों के इस कारोबार में लगे माफिया ने नदियों का जीवन बिगाड़ कर रख दिया है.एक तरफ गंगा को उसकी पवित्रता लौटाने के लिए सरकार अरबों रुपए मिशन गंगा पर खर्च कर रही है वहीं दूसरी तरफ सत्ता संवेदन हीन हैं कि एक पवित्र उद्देश्य के लिए ईमानदारी से किसी तरह की नौटंकी या नाटक किए बिना खामोशी से अपने जीवन को दाँव पर लगा देने वाले की परवाह करना तक ज़रुरी नहीं समझती ।हालांकि कि मातृ सदन की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि रेत माफ़िया के दबाव में अस्पताल में निगमानंद जी को जहर दिया गया था जिससे वह कोमा में चले गए । यह मामला इससे और भी गंभीर हो जाता है । यह कैसा लोकतंत्र है जो माफियाओं और दबंगों के आगे दण्डवत रहता है और समाज को बचाने के लिए ईमानदारी से जो लोग कुछ करना चाहते हैं उन्हें जनता की चुनी हुई सरकार मरने के लिए छोड़ देती है । इस सारे मामले में प्रदेश सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकती । क्या देश का लोकतंत्र और सत्ता प्रतिष्ठान दलालों माफियाओं और नाटकखोरों लिए ही समर्पित हो चुका है इस प्रकरण में इलैक्ट्रॉनिक मीडिया ब प्रिंट मीडिया को भी मै उतना ही ज़िम्मेदार मानता हू जितना सरकार ब नेताओं को।
2- व्यवस्था का नंगा सच! भ्रष्टाचार-चेप्टर- 1
भ्रष्टाचार ने हमारे देश को इस कदर जकड़ लिया है कि स्वर्गीय राजीव गाँधी जी का यह नारा (मेरा देश महान )
लोग इसे बदल के (मेरा देश महान सौ में निन्नाय्न्बे बेईमान )कहने लगे है। (बहरहाल एक फीसदी ही सही) हमारा देश महान था.है और महान ही रहेगा मेरा ऐसा मानना है।व्यवस्था(सिस्टम) पर बापस आता हूँ व्यवस्था की रूपरेखा बनाने का काम शासन का है लागू करना प्रशासन का. पर हमारे सिस्टम में ही ख़ामियाँ है.शासन चाहे देश का हो या प्रदेश का. शासन केबल अपनी सुविधा देखता है और प्रशासन के सहयोग हर बो काम करता है जिसे हम भ्रष्टाचार कहते है।इस कार्य में हमारी मीडिया इलेक्ट्रानिक मीडिया ब प्रिंट मीडिया भी शासन का चाहे परोक्ष रूप में ही सही साथ देती है।
चाहे टू-जी स्पेक्ट्रम का मामला! हो या उत्तरप्रदेश का ज़मीन मामला! चाहे उत्तरप्रदेश,दिल्ली में अपराधों का मामला इस पर तो इलेक्ट्रानिक मीडिया ब प्रिंट मीडिया में खबरे आप को हर जगह मिल जाएगी पर (उत्तरप्रदेश में शराब की ओवर रेटिंग की खबर क्याटर पर १० रूपये हाफ पर १५ रूपये बोतल पर २० रूपये।
चाहे वह देशी हो या अंग्रेजी) आपको कही नहीं मिलेगी.चाहे आप गूगल का का सहारा ले बिंग या किसी सर्च इंजन का ले कर देखिये। मायावती जी ने विशेष जोन (15 मलाईदार जिलों को मिला कर) बना कर क्या साबित करना चाहती है ।इस तरह करोड़ो रूपये रोज़ की अवैध कमाई को
नहीं जानता.या मीडिया नहीं जानती!शायद शासन तो खुद इसमे शामिल है?इस को कोई क्यों नहीं प्रकाशित नहीं करता!इस बात का सिर्फ एक ही जबाब है इस खेल को सब जानते है लेकिन बोलता कोई नहीं है।पानी पी पी कर कांग्रेस को कोसने वाली मायावती जी जब कांग्रेस चुनाव के बाद जीत के करीब होती है तव अपने समर्थन का पत्र सबसे पहले दे कर आती है.इस के बाद सीबीआई क़ी जाँच मंद पड़ जाती है.यही सोनिया जी कराती है
इस आलेख के इस चेप्टर को यहाँ लिखने का मेरा मकसद शराब को जायज बताना नहीं है। मै खुद इसके सेवन के खिलाफ हू लेकिन सच्ची बात तो लिखनी ही होगी नहीं लिखूगा तो ये लेखन धर्म के खिलाफ होगा.मै जानता हूँ यह सब लिखने और प्रकाशित होने के बाद मेरे खिलाफ कोई जायज या नाजायज कार्यबाई जरुर होगी.मै अपने को छुपा भी नहीं सकता मेरा गूगल एडसेंस खाता ही मेरी सबसे बड़ी पहचान है।
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