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काश! चुनाव हमेशा हो….

आईने के सामने
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कितनी खुशियां मिल जाती है

जब चुनाव-दुल्हानियाँ आती है

माहौल गरम हो जाता है

इतना दहेज ये लाती है ॥

जातिवाद और कटुता का, खतम तनाव हमेशा हो

मैं  तो यही सोचता हूँ, काश! चुनाव हमेशा हो….

जब-जब ये दुल्हनिया आती है

फिर एसा भोज खिलाती है

दिल बाग-बाग हो जाता है

पुरखों की रुह तर जाती है

मुर्गे और सोमरस का, प्रादुर्भाव  हमेशा हो

मैं तो यही सोचता हूँ, काश! चुनाव हमेशा हो

जिसने बीड़ी भी नहीं पिया

सिगरेट उसे मिल जाता है।

‘चम्बल के शेरों’ को “जानी”

हर जगह टिकट मिल जाता है

केवल चुनाव मेँ सही, मगर

ये सच्चरित्र बन जाते हैं

चुनाव बाद तो विधान सभा में

“माइक” समेत लड़ जाते हैं ॥

इनके सच्चरित्र का “जानी”, रखरखाव हमेशा हो

मैं तो यही सोचता हूँ, काश! चुनाव हमेशा हो

पण्डित चुनाव में दलितों की

पांव-पुजाई  करते हैं

नेता जी तो जनता की,

दामाद सी सेवा करते हैं

नेताओं का, ससुरों जैसा, “जानी” बर्ताव हमेशा हो

मैं तो यही सोचता हूँ, काश! चुनाव हमेशा  हो…

हलवाई की पौ बारह  है, कितने मोदक बिक जाते हैं ।

अखबार चलाने वाले भी ,कुछ गरम-गरम पा जाते हैं।

देते हैं किराए पर गाड़ी जो, जेब गरम कर जाते हैं ।

और लगाते माइक जो,  वो  भी  खूब  कमाते  हैं ।

माला गूँथने वालो की,  माली  हालत  सुधर  गयी

पैट्रोल पम्प के मालिक के, घर मेँ ही लक्ष्मी उतर गयी

रोजगार का इसी तरह से, आविर्भाव हमेशा हो ॥

मैं तो यही सोचता हूँ, काश! चुनाव हमेशा हो ….

कोई विकास  का कार्य न हो

देश का पैसा बचा रहे

सरकारी नौकर, सर्विस का

असली मौज मना रहे

अफसरों के आनंद मैं, तनिक न अभाव हमेशा हो

मैं तो यही सोचता हूँ, काश!  चुनाव हमेशा हो …

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