आईने के सामने
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हम अपने प्यार का, उनको हिसाब क्या देंगे !
सवाल ही जो गलत है, जवाब क्या देंगे !
पिलाते हैं जो खुशी, नाप के पैमानों से,
वो भला हमको खुशी, बेहिसाब क्या देंगे ?
जलायी हो ना शमां, जिसने कभी राहों में,
हमें वो लाके भला, आफताब क्या देंगे ?
बिछाए जिसने सदा, राह में कांटे मेरी,
वो लोग हँस के मुझे, अब गुलाब क्या देंगे?
तरस रहे हैं जो खुद, मय के एक कतरे को,
एसे शाकी हमें, आखिर शराब क्या देंगे?
मेरे लिए है जिन्हे , दुश्वार मुस्कुराना भी,
वो ‘जानी’जान तुम्हें, दिल,शबाब क्या देंगे?
डा॰ सूर्याबाली को समर्पित
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