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किसे चाहिए वैरागी ? हर दल मांगे, केवल दागी।

आईने के सामने
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किसे चाहिए वैरागी ? हर दल मांगे, केवल दागी।
जिसके पास है पैसा-पावर, जनता उसके पीछे भागी।

जाति-धर्म-धन जनता देखे, और नहीं कुछ जाँचें,
पैंसठ सालों में तो अब तक, जनता कभी नहीं जागी।

काम नहीं, जब जाति योग्यता, जन-जन ही यह सोचें,
टिकट मिलेगा जिसके जाति की, ज्यादा हो आबादी।

मन्दिर-ले लो, मस्जिद-ले लो, छोड़ो बिजली-पानी,
सेक्युलर मुद्दे में बस उलझो, भूलो मुद्दे बुनियादी।

पूजा करें देवियों की, और कन्या भ्रूण में मारें,
रेप-दहेज में झुलस रही है, अब तक आधी-आबादी।

बेईमानों की मौज हो रही, सजा पा रहे हैं सच्चे,
भ्रष्टतन्त्र की बन्धक बनी जो, लानत एसी आजादी।

किसे चाहिए वैरागी ? हर दल मांगे, केवल दागी।
जिसके पास है पैसा-पावर, जनता उसके पीछे भागी।

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