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जताते नहीं हैं लोग

आईने के सामने
आईने के सामने
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दिल में है किसके क्या? ये जताते नहीं हैं लोग !

होंठों  पे दिल की बात भी,  लाते नहीं हैं लोग !

खुद कुछ ना करें, सबकुछ भगवान से चाहें,

सिर सामने यूं ही तो, झुकाते नहीं हैं लोग !!

पलभर में कष्ट दूर हो, मेहनत ना करनी हो,

बाबा को दान यूं ही,  चढ़ाते नहीं हैं लोग !!

अब दान-धर्म केवल, अवतार को, बाबा को ,

भूखे को तो पानी भी, पिलाते नहीं हैं लोग!!

सुनते नहीं हैं बात जो,  लालच में,  स्वार्थ में,

कहते हैं फिर वो, सच को, बताते नहीं हैं लोग !!

मेहनत, ईमानदारी से, दुशवार  है  जीना,

अब भ्रष्ट, बेईमां को, सताते नहीं हैं लोग !

दर्पण की झाड़–पोंछ में,  बीते तमाम उम्र,

चेहरे की अपने धूल, हटाते नहीं हैं  लोग !

लगते  गले  हैं,  हाथ  मिलाते  तपाक  से,

पर भूलकर भी दिल को, मिलाते नहीं हैं लोग !!

देते हैं दिल  को दर्द,  हाल ‘उनका’ पूँछकर,

उस पर भी कहते‘जानी’, सताते नहीं हैं लोग

दिलमें है किसके क्या, ये जताते नहीं हैं लोग

होंठों पे दिल की बात भी, लाते नहीं हैं लोग !!

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