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प्रशासनिक सुधार

आईने के सामने
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यूँ तो हमारा देश बहुत सी बातों में पूरी दुनिया का नेता रहा हैं। जैसे गरीबी में सबसे आगे। कामचोरी या घुसखोरी, में  सबमें अब्वल  ही रहा हैं। इधर एक सर्वेक्षण में हमारे प्रशासनिक अधिकारी, पूरे एशिया में सबसे अधिक निकम्मे हैं, यह बताया गया हैं। हमारे प्रशासनिक अधिकारी, बहुत ही उम्दा किस्म के निकम्मे और भ्रष्ट  बताए गए हैं। हमें नाज हैं एसे महान प्रशासकों पर।

लेकिन अब राजनीतिक को क्या कहें? हमारे प्रधानमंत्री जी ने शपथ ग्रहण करते ही यह वादा किया कि वे प्रशासनिक सुधार करेगें। आखिर राजनेताओं को यह बात कैसे अच्छी लगेगी कि, प्रशासनिक अधिकारी उनसे भी ऊंचे दरजे के, अव्वल निकम्मे हों। अत: प्रधानमंत्री जी ने आनन फानन में प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन कर दिया गया। आयोग में पाँच रिटायर्ड़ प्रशासकों को सदस्य बना दिया।  वैसे कहने के लिए भले ही हमारे प्रशासक कुछ  न करते हों, लेकिन रिटायरमेंट के बाद वो कभी खाली नहीं बैठते। किसी न किसी आयोग या  समिति में, तस्वीर पर हार चढ़ने तक,  काम करते रहते हैं।

हाँ तो बात हो रही थी प्रशासनिक सुधार आयोग की। आयोग ने फटाफट काम शुरू कर दिया। दफ्तर बना लिया। टेलीफोन, फैक्स, कंप्यूटर, आपरेटर, स्टेनों सब व्यवस्था इतना तीव्र गति से हुई, कि उनका काम देखकर एक बार तो एसा लगा, कि एसे कुशल प्रशासकों को और सुधार की क्या जरूरत हैं?। छ: महीने के बाद सारा  तामझाम पूरे होने के बाद आयोग की पहली बैठक हुई। पहली बैठक बडी ही संजीदगी से हुई। बैठक में यह निर्णय किया गया कि पहले यह देखा जाये, कि अन्य देशों में प्रशासक कैसे कार्य  करते हैं। इसलिए हर सदस्य दो-दो देश की यात्रा करके दस प्रमुख देशों से डाटा कलेक्ट करेगा कि कहाँ पर क्या प्रणाली है।

फिर क्या था? छ: महीने में डाटा कलेक्ट करने का लक्ष्य रखा गया। सभी सदस्य छ: महीने तक विदेश भ्रमण करते रहे। छ: महीने के बाद सब पुन: इकट्ठे हुये। सभी सदस्य अपने अपने यात्रा वृतांत सुनाने लगे। किसने कहाँ पर क्या देखा? सिंगापूर में क्या शापिंग की या अमेरीका में कहाँ –कहाँ घूमा। ब्रिटेन में क्या खाया। पूरे दिन इसी बात की चर्चा होती रही। डाटा की कोई बात नहीं  हुई। यह तय हुआ कि हर महीने एक बैठक होगी तथा सुझाव पर चर्चा की जाएगी।

इस  तरह साल भर और बीत गया। हर मीटिंग किसी परिचित की शादी या पार्टी की चर्चा में बीतती रही। इस तरह तीन साल बीत गए। प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट  तैयार नहीं हुई। कुछ मीडिया वालों नें प्रधानमंत्री को याद दिलाया। प्रधानमंत्री ने मंत्री को। मंत्री ने राज्य मंत्री को। राज्यमंत्री ने सचिव को। सचिव ने उपसचिव को याद दिलाया। बात आयोग तक पहुँची। आयोग सक्रिय हुआ। जैसे कि हम भारतीय हर काम में अव्वल हैं, वैसे ही हम नकल करने में भी अव्वल हैं।

आयोग के सदस्यों ने फटाफट फिर से उन देशों में जाकर वहाँ की कार्य प्रणाली लाने की सोची। जिससे नकल करके नयी रिपोर्ट बनाई जा सके। शार्ट ड्यूरेशन टूर पर सब भागे। एक महीने में सभी देशों के प्रशासकों की कार्यप्रणाली का गट्ठर आ गया। सभी गट्ठरों में से चार-चार बातें लेकर एक नयी प्रणाली बनाई गयी। फिर उस पर बहस शुरू हो गयी। हमारे देश के मिजाज से मेल न खाने के कारण सब में थोड़ा बहुत सुधार कर कराकर एक साल में रिपोर्ट तैयार हुई। प्रिंट करते-करते पाँच साल पूरे हो गए।

आयोग ने उप सचिव को बताया। उसने सचिव को। सचिव ने राज्य मंत्री को, मंत्री ने प्रधानमंत्री को। प्रधानमंत्री ने आला- कमान को। आला कमान ने कहा, अभी चुनाव शुरू हुए हैं। अगली बार सरकार बनी तो देखेंगें।

भगवान की दुआ से फिर उनकी सरकार बनी। किसी न्यूज़ वालो ने, मीडिया वालों ने प्रधानमंत्री को प्रशासनिक सुधार  के वादे को याद दिलाया। प्रधामन्त्री ने राज्य मन्त्रीको,……….। आयोग ने रिपोर्ट को कुछ डिजाइन बदलकर रिप्रिंट करवाया और एक साल के अंदर पेश कर दिया। कई करोड़ रुपये आयोग ने रिपोर्ट बनाने के लिए पानी कि तरह बहा दिया। आखिर में रिपोर्ट बन ही गयी।

उपसचिव ने सचिव को बताया। सचिव ने ………. । प्रधानमंत्री ने आलाकमान और संसद को बताया। संसद के पास पहले से ही कई रिपोर्टें पड़ी हुई थी। इसलिए एक साल बाद संसद में रिपोर्ट रखने का मौका आया। रिपोर्ट पर चर्चा शुरू हुई, आयोग बनने के नौ साल बाद। रिपोर्ट तो स्वीकार हो जाती। प्रशासन भी सुधर जाता। मगर इन मीडिया वालो का क्या करें।

जब से रिपोर्ट पेश हुई। रोज़ मीन मेख निकालते रहते हैं। यह सुझाव व्यावहारिक नहीं हैं। वह सुझाव भारत में नहीं चल सकता। आदि-आदि। इस तरह एक साल और बीत गया। सरकार ने मीडिया के तर्को-कुतर्कों से तंग आकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इस तरह दस साल बीत गये। फिर चुनाव आ गया। सरकार ने एक दूसरे प्रशाशानिक सुधार आयोग के गठन करने का वादा किया हैं चुनाव में। ……………

(यह ब्यङ्ग अदिति फीचर्स द्वारा कई अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है।)

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