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बुरा ना मानो होली है- नेताओं संग होली

आईने के सामने
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मनमोहन की मोहनी, करे ना ज्यादा बात। बेकारी और उदारीकरण की चिंता है दिन रात । चिंता है दिन रात, भरेगा कैसे खजाना । सोनिया की मर्जी पर जाने, किस दिन पड़ जायेगा जाना। अर्थनीति के तेज खिलाडी, राजनीति में फ़िसड्डी। राजा, ममता और कलमाड़ी, बने गले की हड्डी। मुखिया बने देश के लेकिन, सोनिया की ही सुने सलाह। राजग वाले कहें शिखण्ड़ी, मगर भरे ये कभी न आह। भरें कभी ना आह, सहें अन्ना का विरोध। हर सरकारी फ़ैसले में, ममता बनर्जी करें अवरोध। अन्दर बाहर किसे मनायें, जब रूंठी पूरी टोली है। बुरा ना मानो होली है।…

इटली की मैडम को देखो, चिंता अब बढ़ आई है। हार  इलेक्शन में पा करके, चिंता उनपे छाई है। सत्ता की चाभी रखती हैं, चलता है उनका ही राज। और दिखाने की त्यागी हैं, दानी हैं, छोडा जो ताज। यही तमन्ना दिल में इनके, नेहरूं वंश करे बस राज। ब्रेनस्टार्मिंग इस पर करती, कैसे राहुल पहनें ताज। राजनीति तो सीख गयीं पर, चाटुकारिता प्यारी है। अपना कुछ भी नहीं है, बस नेहरूं परिवार की नारी हैं। भगवा टोली पड़ी थी पीछे, फिर भी सब पर भारी हैं। सत्ता हित ये दोस्त बनाती, भले ही भ्रष्टाचारी हैं। राजनीति में सबकी दादी, सूरत केवल भोली है। बुरा ना मानो होली है…

जिन्ना ने तो डूबा दिया , आड़वाणी की नाव। सभी बरस उन पर पड़े, मिली न कोई छांव । मिली न कोई छांव, गंवायी अपनी कुर्सी । कोई न पूंछे हाल, हुई वो मातम पुर्सी । लालकृष्ण आडवाणी बनते, आज के सरदार पटेल। सरकार बनाने की खातिर, सबसे ये करते हैं मेल। सबसे ये करते हैं मेल, खेल सत्ता का खेलें। हिन्दू धर्म की रक्षा की, सारी जिम्मेदारी खुद ले लें। कभी समीक्षा संविधान की, कभी राष्ट्रपति पद्धति भाये। कभी बहस हो धर्म बदल पर, मंदिर का कभी मुद्दा आये। भावनाये भड़का करके, कब तक मूर्ख बनाएंगे। आखिर काठ की हांड़ी को, कितनी बार चढाएंगे। मुद्दे देकर वोट लेने की, अच्छी दुकान ये खोली है। बुरा ना मानो होली है…

अन्ना की तमन्ना है कि, जनलोकपाल बन जाए। चाहे विपक्ष साथ आए, या सरकार दुश्मन हो जाए। भ्रष्टाचार मिटा रहे हैं, किरण और केजरीवाल। लेकिन उनपे भी भ्रष्टाचार के, उठे हैं खूब सवाल। उठे हैं खूब सवाल, लोकपाल सरकार पे थोपें। दिग्विजय और सिब्बल उनपर, सुबह शाम बरसाएँ तोपें। भ्रष्टाचार के खिलाफ, अन्ना कि लड़ाई बड़ी हो गयी। नेताओं की कुटिलता से, लोकपाल कि खटिया खड़ी हो गयी। लोकपाल के लिए ही केवल, इनकी नीयत डोली है। बुरा ना मानो होली है…

महाराष्ट्र के राजा हैं, नाम ठाकरे बाला है। संविधान जोरूं है इनकी, कानून तो इनका साला है। पिच खोदने और कपड़े फाड़ने में, कोई नहीं इनका सानी। सच्ची बात कहे कोई तो, होती इन्हें बहुत परेशानी। वाटर और फायर के खिलाफ़, शौर्य जाग जाता है। सीमा पर जब छिड़े लड़ाई, सब जोश भाग जाता है। सीमा पर ये लड़ेंगे क्या, बनते केवल घर में शेर। साम्प्रदायिक मुद्दों का, इनके पास बहुत है ढेर। माइकल जैक्सन जब इनका, मूत्रालय प्रयोग कर जाते हैं। हिन्दुत्व और संस्कृति के रक्षक, इंतहा धन्य हो जाते हैं। सदा बयानों से अपने, देश में कटुता घोली है। बुरा ना मानो होली है…

लालू जी की लालटेन का, खतम हो गया तेल । बूटा सिंह की रिपोर्ट का, उल्टा पड़ गया खेल । उल्टा पड़ गया खेल, रेल भी गया हाथ से। मंत्रीपद भी मिल ना सका, इनको कांग्रेस के साथ से । घोटाला करके हड़काते, वो तो अपने लालू हैं। जेल से शासन करते हैं, लालू कितने चालू हैं। राजनीति की रोटी सेंकें, चाहे उजड़े जहानाबाद। और बर्खास्तगी पर करते हैं, साम्प्रदायिकता मुर्दाबाद। भूल गये थे जनता को ये, समझ रहे थे खुद को राजा। लेकिन चुनाव में जनता ने, बजा दिया इनका बाजा। इनके गांधीवादी विरोध में, केवल कट्टे गोली है। बुरा ना मानो होली है…

उमा भारती साध्वी बनतीं, छोड़ चुकी लौकिक माया। और नहीं ख्वाहिश कुछ भी, बस कुर्सी पर ही दिल आया। संन्यासिन तो हैं ये लेकिन, भाये ना हरिद्वार। जप तप सारा इसलिये, मिल जाये सरकार। बातों में बस तेज हैं, जुबां है बर्छी भाला। राजनीति का जाप करें, फ़ेरें कुर्सी माला। दगा दिया किस्मत ने, छिन गया मुंह से कौर। मंथन किया इन्होंने, कुर्सी ले गये गौर। कुर्सी ले गये गौर, ठौर कोई नजर ना आये । कभी भाजपा बाहर फ़ेंके, और कभी फ़िर यूपी लाये। लोगों की भावना भड़काना, इनके लिये ठिठोली है। बुरा ना मानो होली है…

कांशीराम, राम के दुश्मन, माया मनु की बैरी हैं। मनुवादी ब्यवस्था के विरोध की, राग हमेशा टेरी हैं। अपनी मूर्तियां लगवाने में, खूब कमाया नाम। इस चुनाव में जनता ने, कर दिया काम तमाम। सत्ता की खातिर भाजपा से, इनको कोई परहेज नहीं। सत्ता इनको मिल जाये तो, कोई संघर्ष ही शेष नहीं। कभी भाजपा कट्टर दुश्मन, कभी गले लग जाती है। सत्ता पाने की खातिर, बस दलित दलित चिल्लाती है। आरक्षण का उठा के मुद्दा, बन रहे ये वोट। दलितों को ये बना के मोहरा, खेल रहे हैं गोट। ये बस चुनाव में ही दिखते हैं, बाकी दिखती तस्वीर नहीं। तभी इन्हें दलित दिखते हैं, बाकी दिखती पीर नहीं। वोटों की खातिर फ़ैली, इनकी हरदम झोली है। बुरा ना मानो होली है…

दिल्ली छोड़ गयी कोलकाता, वो तो ममता बनर्जी हैं। दिल्ली में बस होता वह ही, जिसमें उनकी मर्जी है। राजनीति की चतुर खिलाड़ी, गठबन्धन की कसें नकेल। इतने दावेदारों में से, ममता झटक ले गयी रेल। सत्ता के बाहर रहने पर, उद्योगों को, दूर भगाएँ। सत्ता में आने पर ये, पूंजीनिवेश के लिए बुलाएँ। जब तक सत्ता के बाहर थी, नक्सलियों की थी हमदर्द। सत्ता में आने पर वो ही, इनके लिए बने सरदर्द। चीफ़ मिनिस्टर की कुर्सी पर, इनकी नीयत डोली है। बुरा ना मानो होली है…

मुस्लिम के जो बने मसीहा, सपा अध्यक्ष मुलायम हैं। भाजपा विरोध की राजनीति पर, केवल वो ही कायम हैं। अँग्रेजी के घोर विरोधी, बाँट रहे लैप-टाप । बिजली और बेगारी भत्ते का, दिया है लालीपाप । दिया है लालीपाप, देंगे मुस्लिम आरक्षण। इनके जीत का जश्न, बना बहुतों का मरण। नाम मुलायम सिंह यादव, पर दिल से हैं ये बहुत कठोर। धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यक हित का, सदा मचाते रहते शोर। सदा मचाते रहते शोर, वंशवाद की करें बुराई। अपने भाई और बेटे को, राजनीति में जगह दिलायी। राहुल गांधी के आरोप, इनको लगे ठिठोली है। बुरा ना मानो होली है।

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