आईने के सामने
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माहौल खुश बनाने की, शुरुआत कीजिये ।
हंस करके हरेक शख्स से, बस बात कीजिये
उलझन में ना रहो कि, क्या सही है क्या गलत?
बस आँख मुंद- करके, दिल का, साथ दीजिये ।
यूं दो दिलों कि दूरियाँ, मिटती ना खुद बख़ुद
पर हाथ तो बढ़ाइए, और बात कीजिये ।
थप्पड़ ना कोई मारे, फेंके ना कोई जूते,
कह पाये अपनी बात, वो हालात कीजिये
औरों के दिल पे चोट, लगाने से पहले ‘जानी’
उस दर्द का खुद अपने पर, एहसास कीजिये
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