आईने के सामने
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हम भी लूटें, तुम भी लूटो, लूटने की आजादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा, जिसके तन पर खादी है।
मंदिर-मस्जिद में उलझाओ, आरक्षण के वादे दो,
याद नहीं कर पाये जनता, मुद्दा जो बुनियादी है।
सबसे ज्यादा वो लूटेगा….
मिल जाते हैं कट्टर दुश्मन, करने को जनता पर राज
दलित मसीहा उनसे मिलते, जिनको कहते मनुवादी हैं
सबसे ज्यादा वो लूटेगा …….
चुनकर भेजा जिसको हमने, जनता की सेवा में,
सेवक वो मालिक बन बैठा, जनता अब फरियादी है
सबसे ज्यादा वो लूटेगा….
डरो ना उनसे, जी भर लूटो, चाहे अत्याचार करो
उफ़ ना करेगी जनता ‘जानी’, वो इन सबकी आदी है
सबसे ज्यादा वो लूटेगा …..
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