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भगवान ने हमें जिंदगी कितने अरमानों से दी थी. सोचा होगा कि धरती पर जाएंगे तो यहां के नजारे देखेंगे, खुली हवा में घूमेंगे, ये करेंगे वो करेंगे. पर हुआ क्या? इंसान ने इंसान को ही मारना शुरू कर दिया. हालात कुछ और बुरे हुए तो अपनों ने ही अपनों को मारना शुरू कर दिया. और अब हालत यह है कि जिनके ऊपर हम अपनी सुरक्षा को छोड़ते हैं, वह कहते हैं यार, हर बार हर हमले को रोकना मुमकिन थोड़े ही है.
देश में पिछले चार दिनों में विभिन्न आपदाओं से 100 लोगों से ज्यादा की दर्दनाक मौत हो चुकी है. और हर बार सरकार ने बड़ी ही बेशर्मी से मृतकों को उनकी मौत का मुआवजा जारी कर दिया. पांच लाख दिए और कह दिया जी हो गया. पांच लाख में उस मृतक के परिजन पूरी जिंदगी काट लेंगे, उसके बच्चे पढ़-लिख लेंगे. सब हो जाएगा पांच लाख में.
हम देश के एक आम आदमी हैं. आम आदमी अपनी सुरक्षा के लिए सरकार को चुनता है. एक आम आदमी को इतनी फुरसत नहीं कि वह अपने परिवार का पेट पाल सके, इसीलिए वह पांच साल में से एक दिन निकाल कर वोट देता है. सोचता है कि जो सरकार बनेगी वह उसकी मदद करेगी. लेकिन इस बार तो दांव बहुत उलटा पड़ गया है. यूपीए सरकार क्या आई भ्रष्टाचार, महंगाई और खौफ को साथ लाई. एक हमारे बेचारे प्रधानमंत्री हैं जो कहते हैं कि भ्रष्टाचारियों को सरकार में रखना मजबूरी है. भाई ऐसी क्या मजबूरी जो देश की करोड़ों जनता से तुम बेवफाई कर रहे हो. यार नहीं होता तो छोड़ दो ना. मनमोहन सिंह को लोग एक प्रख्यात वित्ता विशेषज्ञ के रुप में जानते हैं पर आज हालत यह है कि लोग उन्हें कायर कह रहे हैं. क्या कोई आत्म-सम्मान नाम की चीज है मनमोहन सिंह के पास या उसे भी सोनिया जी को बेच दी.
सोनिया जी ने तो जो गेम खेला है उसे क्या कहना. कभी गुड़िया का खेल देखा है आपने जिसमें एक आदमी ऊपर से डोर पकड़ कर गुड़ियों का नाच दिखाता है. ठीक उसी स्थिति में सोनिया जी हैं. और राहुल गांधी तो अमूल बेबी बने हुए हैं. यूपी से महाराज को फुरसत ही नहीं मिलती. हां, कभी कभार कुछ बोल भी देते हैं. जैसे अभी कहा कि हर विस्फोट को रोकना मुमकिन नहीं है. यार राहुल जी हमें पता है यूपीए सरकार के बस में कुछ भी नहीं है. ना उससे महंगाई रुकेगी ना आतंकवाद. हां, कह दो कि गे संरक्षण कानून बना दो, तेलंगाना बना दो, पाकिस्तान के आगे झुक जाओ ये सब हो सकता है. लेकिन कसाब को फांसी नहीं दी जा सकती. अरे उसका भी तो मानवाधिकार है ना. बेशक उसने कितने भी लोगों को मारा हो पर बंदे को दो साल से पाल रहे हैं. एक इंसान मरता है तो पांच लाख देते हैं और कसाब की सुरक्षा पर ही 31 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. 31 करोड़……….. सोच कर भी अजीब लगता है.
बढ़िया है देश में इस समय दो तरह के लोग ही सुरक्षित हैं. एक नेता जो आपराधिक छवि के हों और दूसरे बाबा. मैं तो कहता हूं सब कुछ छोड़कर एक दो मर्डर कर देते हैं फिर किसी नेता की सुरक्षा में शामिल हो जाते हैं और हम भी चमचागिरी करके बन जाते हैं नेता. अगर यह भी पसंद नहीं तो बाबाओं वाला फार्मूला बहुत आसान है. भगवा धारण करो, कॉलोनी के पार्क में बैठकर भाषण देना शुरु कर दो. कुछ दिनों बाद देखो क्या माल बनाते हो आप. कसम से अगर सही तरीके से भाषण दिए ना तो आसाराम बापू से भी ज्यादा कमा लोगे.
देश में जिंदगी की इतनी कम कीमत हो गई है कि अब लगता है बिन जीवन बीमा जीना अपने परिवार पर बोझ डालने के बराबर है. मैं तो यही सलाह दूंगा कि आने वाले दो साल जरा संभलकर, अगर सरकार बदली तो ठीक वरना राम नाम सत्य. घर से निकलने से पहले हनुमान चालिसा पढ़कर और बच्चों से मिलकर निकलें और हां, अपना बीमा जरूर करवा लें.
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