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जागरण जंक्शन मंच से जुड़े हुए इस महीने मुझे एक साल हो गए. इस एक साल के दौरान काफी कुछ नया सीखने को मिला तो काफी नए दोस्त मिले. कभी कुछ ऐसे क्षण आए जो यादों के कोने में घर करके बैठ गए. कई दोस्त मिले जैसे राजकमल जी, सन्नी, सचिन, अजय झा, आशीष राज तो तमाम ब्लॉगिंग के सरताजों से मुलाकात हुई जैसे आर के खुराना, मीहिर राज, निखिल, रजिया जी आदि.
इस मंच से जुड़ने के लिए मुझे एक दोस्त ने कहा था. टाइमपास के लिए इस मंच से जुड़ा तो मंच पर अन्य लोगों की उत्कृष्ट रचनाओं को देख मेरा भी मन हुआ कि कुछ खास लिखा जाए तो हम भी लिखने लगे. ब्लॉगस्टार प्रतियोगिता के दौरान अपनी गतिविधियां तेज की और पुरस्कार पर हमला करने की कोशिश की पर मेहनत पर पानी फिर गया. मेरे ब्लॉग का नाम टॉप टेन ब्लॉगर में भी नहीं आया. पर ब्लॉगिंग कुछ पाने के लिए तो शुरु नहीं की थी सो निकल पड़े कारवां को आगे बढ़ाने के लिए.
मंच के साथ मेरे अनुभव कभी खट्टे तो कभी बहुत मीठे रहे. मैंने मंच पर दूसरों को देख देख कर ही लिखना शुरु किया और आज भी अन्य लोगों से कुछ न कुछ सीखने को इच्छुक रहता हूं वो बात अलग है कि टाइम थोड़ा कम मिलता है. मैंने अपना पहला ब्लॉग “2010 : नई आशाओं और उम्मीदों का वर्ष” लिखा था और तब से अब तक कुल 45 पोस्ट कर चुका हूं. कई ब्लॉग हिट भी रहे तो कइयों को तो लोगों ने पढ़े भी नहीं. हालांकि हर ब्लॉग पर लोगों की प्रतिक्रियाओं ने बहुत प्रोत्साहन दिया और उसी का नतीजा है कि आज थोड़ा बहुत लिख पाते हैं.
आशा है जागरण जंक्शन और हमारा रिश्ता ऐसा ही चलता रहेगा. जल्द ही ब्लॉगों का अर्धशतक पूरा कर लूंगा और अगर आप लोगों का सहयोग मिला तो शतक बनाने से भी नहीं चूकूंगा.
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