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इन्हें जन्म देने से पहले सोचें!

चिठ्ठाकारी
चिठ्ठाकारी
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जनसंख्या विस्फोट आज मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है। बच्चे पैदा करना वंश आगे बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी होता है। मनुष्य अपने वंश के बारें में तो जरूर सोचता है लेकिन वह कभी भी प्रकृति के वंश के बारें में नहीं सोचता। अपने फायदे के लिए जिन पेड़ों को हम काटते हैं उनकी जगह किसी नए पेड़ को लगाने या उसकी देखभाल के बारे में नहीं सोचते। अगर हो पाता है तो हम बस पर्यावरण दिवस पर दो पौधे लगाकर सेल्फी ले कर छोड़ देते हैं फिर चाहे तो दो दिन बाद ही उन पौधों को कोई पशु खा जाए या वह सूख जाए।

लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। जिस तरह हम अपने वंश को बढ़ाने के लिए बच्चे पैदा करते हैं उसी तरह प्रकृति के वंश को बढ़ाने के लिए भी हमें अपने आसपास जहां हो सके पेड़ लगाने चाहिए। टीचर और छात्र स्कूल में, सरकारी नौकरी वाले अपने फ्लैटों के पास बने पार्कों में, बड़ी सोसायटी में रहने वाले गार्डन में और प्राइवेट नौकरी करने वाले चाहें तो रोड़ के आसपास या घर के पास खाली जगह पर पेड़ लगाकर उसकी देखभाल कर उसे बड़ा कर सकते हैं।

देखभालभीहैजरूरी

दिल्ली की एक IT कम्पनी आरजे रिसर्च एंड सपोर्ट (RJ Research and Support) के संस्थापक RJ Raawat का कहना है कि कई लोग सिर्फ शौक के लिए पर्यावरण दिवस पर पौधे लगा तो देते हैं पर उसकी देखभाल नहीं करते। इसकी वजह से पता चलता है एक दिन पहले जिस पौधे के साथ लोग सेल्फी खिंचा रहे होते हैं उसे अगले ही दिन गाय खा जाती है। वक्त रहते हमे जिम्मेदारी निभानी होगी और अपने बच्चो को पर्यावरण से प्यार और आदर भाव सिखाना होगा । हमे ध्यान देना चाहिये कि छुट्टियों मे बच्चे न केवल स्विमिंग डांसिंग सिंगिंग क्लासेज ले बल्कि कुछ पर्यावरण से जुडी बाते भी सीखे ।

पेड़ों की देखभाल के लिए हमें सरकार पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। अपनी व्यस्त जिंदगी से निकाले गए चंद मिनट भी प्रकृति और आसपास की हरियाली में सहयोग करने के लिए पर्याप्त है ।

बचपनसेडालेंआदत

पेड़ लगाने या बागबानी का शौक एकाएक नहीं आ सकता इसके लिए जरूरी है कि बच्चे को शुरुआत से इसके लिए तैयार किया जाए। अपने बच्चों को आज सभी लोग गर्मियों की छुट्टियों में समर कैंप भेजते हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब बच्चें गांव जाते थे और वहां खेत आदि देखकर उनके मन में पेड़ों के प्रति लगाव आता था। आज बेशक आप उन्हें गांव ना ले जा सके लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में घर में एक नया पौधा ला कर उसकी जिम्मेदारी अपने बच्चों पर डाल कर उनके दिल में पौधों के लिए जगह जरूर बना सकते हैं।

यह एक छोटी सी आदत आपके बच्चें को जिंदगी भर काम देगी। इससे ना सिर्फ वह प्रकृति के करीब आएगा बल्कि उसमें जिम्मेदारी लेने की क्षमता भी आएगी।

अभीभीसमयहैसंभलनेका

आज कही लोग पानी के लिए तरस रहे है तो कही ज्यादा बारिश से फसल ख़राब हो रही है, कही लोग तेज धुप से मर रहे है तो कही लोग बर्फ की ठण्ड से मर रहे है !  यह सब हो रहा है प्रकृति के असंतुलन से। अगर प्रकृति के असंतुलन को बनाना है तो इसे सही करना जरूरी है। जैसे बूंद-बूंद से घड़ा भरता है उसी तरह अगर हर इंसान अपने जीवन में एक पेड़ भी लगाए तो उसके आसपास अच्छी-खासी हरियाली हो सकती है।

फ्रीपौधेपानेकानायाबतरीका

आरजे रिसर्च एंड सपोर्ट (RJ Research and Support) नामक संस्था ने एक मुहिम शुरु की है। जिसके तहत अगर आप पौधा लगना चाहते हैं और उसकी देखभाल करने के लिए तत्पर हैं तो वह आपको फ्री पौधे देंगे। इसके लिए बस आपको अपना और अपने आसपास रहने वाले ऐसे लोगों की लिस्ट बनानी है जो वाकई पौधे चाहते हैं फिर उस लिस्ट को फोन नंबर के साथ नीचे दिए गए ईमेल पर भेज, संस्था आपको फ्री पौधे दिलाएगी।

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