- 80 Posts
- 397 Comments
कुछ ख्वाब अधूरे से है
जो जागने नहीं देते,
कुछ पूरे होते हैं तो कुछ रोने नहीं देते।
कुछ ख्वाब अधूरे से हैं कुछ अश्क बहाकर जाते हैं
तो कुछ सांस बहा ले जाते हैंकुछ ख्वाब अधूरे से है।
कुछ प्रेम डगर पर देखें हैं,
तो कुछ जीवन पथ पर सजाएं हैं,
कुछ हमेशा याद रहते हैं
तो कुछ भूलाए नहीं जाते हैं,
कुछ ख्वाब अधूरे से हैं।
ममता को मां को बनने की कामना है,
तो प्रेमी को प्रेम की लालसा है,
निर्धन को माया की तलाश है,
तो धनवान को आस की चाह है,
कुछ ख्वाब अधूरे से हैं,
अधूरे ख्वाबों की गठरी,
जिंदगी की पटरी
पर कब बन जाती है बोझ,
इंसान नहीं पाता है यह सोच।
(उपरोक्त कविता मेरे यानि मनोज के द्वारा लिखी गई है। “मेरी मौत” के बाद यह मेरे दूसरी कविता है।
लेखन के क्षेत्र में लगभग चार साल काम करते हुए यह दूसरा ही मौका है जब किसी कविता पर हाथ आजमाइश का मौका मिला है।
आशा है किसी को पसंद आएगी।)
Read Comments